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दुनिया की वो प्रयोगशाला, जहां वापस जिंदा होने की उम्मीद में रखे हैं कई शव... क्या वहां जिंदा हो जाते हैं लोग?

Rebirth: कहा जा रहा है कि फिर से जीवित करने वाली तकनीक के विकसित होने पर इन शवों को फि‍र से जिंदा किया जा सकेगा. खासतौर पर अमीर लोग इस पर यकीन कर के मोटी रकम खर्च कर रहे हैं.

Cryonics Technology: मेडिकल के फील्ड में इंसानों ने काफी तरक्की की है. इतनी तरक्की के बाद भी वैज्ञानिक यही रुके हुए नहीं है. दुनियाभर के वैज्ञानिक अब एक ऐसी तकनीक पर भी काम कर रहे हैं, जिससे मर चुके आदमी को भी जिंदा किया जा सके. जी हां, और इस उम्मीद के साथ कि जिस दिन ये तकनीक आ जायेगी, दुनिया की एक प्रयोगशाला में शवों को सहेज का भी रखा गया है, ताकि तब उन्हें फिर से जीवित किया जा सके.

Cryonics तकनीक 

शरीर को सुरक्षित रखवाने की इस तकनीक को क्रायोनिक्‍स कहते हैं. इसमें शरीर या अंगों को बहुत ही ज्यादा ठंडे तापमान में लंबे समय के लिए रख दिया जाता है. इस तकनीक में मृत व्‍यक्‍ति के शरीर को तब तक बर्फ की तरह जमा कर रखा जाएगा, जबतक कि एडवॉन्‍स तकनीक से लोगों को फिर जीवन देने का काम शुरू नहीं हो जाता. ऐसी तकनीक विकसित होते ही, इन लोगों को भी फिर से जीवन दिया जाएगा.

अमेरिका में लोग अपने मृत शरीर को एरिजोना प्रांत की एक प्रयोगशाला में भविष्य के लिए सुरक्षित रखवा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस तकनीक के विकसित होने पर इन शवों को फि‍र से जिंदा किया जा सकेगा. खासतौर पर अमीर लोग इस पर यकीन कर के मोटी रकम खर्च कर रहे हैं. बड़ी बात यह है कि यह एक उद्योग के तौर पर अमेरिका में पसर रहा है.

नहीं है कोई गारंटी

शवों को फि‍र से जिंदा करने के दावों पर इस व्यवसाय के लोग मानते हैं कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य में वाकई इस तरह से लोगों को फि‍र से जिंदा कर पाना 100% संभव ही होगा. क्रायोनिक्स में विश्वास करने वालों में बहुते से हाई प्रोफाइल ग्राहक भी हैं. इस तरह के ग्राहकों की वजह से इस तकनीक का एक तरह से मार्केट तैयार हो गया है.

कैसे काम करती है क्रायोनिक्‍स तकनीक?

इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों का प्रयास होता है कि मौत के बाद जल्दी से जल्दी शरीर को संरक्षित किया जा सके. इसका कारण यह है कि जितना संभव हो शरीर की हर कोशिका को संरक्षित किया जा सके. इसके लिए वे संरक्षित कोई जाने वाले शरीर या अंग को -196 डिग्री सेंटीग्रेड में जमा कर रखते हैं. इसके लिए पहले एक खास द्रव शरीर के अंदर संचारित किया जाता है? जो ठंडा होने के साथ फैलता है और शरीर के अंदर विघटन की प्रक्रियाओं को रोक देता है. इस पूरे प्रोसेस को क्रायो-प्रिजर्वेशन कहते हैं.

कब हुआ था पहला शव संरक्षित?

यह तकनीक पर काम काफी पहले ही शुरू हो चुका था. क्रायोनिक प्रक्रि‍या के तहत पहला शरीर जो इस पद्धति से गुजरा था, उसे साल 1967 में संरक्षित किया गया था. हालांकि, आज के समय यह प्रक्रिया एक व्यवासाय और उद्योग का रूप लेती नजर आ रही है. 

कितना खर्च होता है?

जरूरी नहीं कि इस प्रक्रिया के लिए केवल पूरे शरीर को ही संरक्षित किया जाता है, बल्कि शरीर के कुछ खास अंग खासतौर से मस्तिष्क को भी संरक्षित किया जाता है. इसके अलावा भ्रूण, मृत शिशु और यहां तक की मानव स्पर्म या अंडों का भी संरक्षित किया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत पूरे शरीर को संरक्षित रखने की कीमत 2 लाख अमेरिकी डॉलर और केवल दिमाग को संरक्षित करवाने में 80 हजार डॉलर का खर्चा आता है.

यह भी पढ़ें - 'अंधे के हाथ बटेर लगना'... बटेर क्या है और इसमें क्या खास होता है?

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