लाल बत्ती से ज्यादा जान ले रहा है ड्राइविंग के दौरान फोन का इस्तेमाल, आंकड़े देख कर हैरान हो जाएंगे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 11 लाख 90 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं.
मोबाइल फोन की लत इन दिनों लोगों को इस तरह से लगी है कि वह बिना फोन के एक मिनट नहीं रह सकते. यहां तक कि ड्राइविंग के दौरान भी लोग फोन का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटते. अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आपकी ये आदत आपकी जान ले सकती है.
दरअसल, हाल ही में हुई एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि रेड लाइट तोड़ने पर जितने लोगों की मौतें होती हैं, उससे कहीं ज्यादा लोगों की मौत ड्राइविंग के वक्त फोन का इस्तेमाल करने से होती हैं.
किसने की रिसर्च
दरअसल, आईआईटी दिल्ली में परिवहन अनुसंधान और चोट निवारण केंद्र (Transportation Research and Injury Prevention Centre) द्वारा की गई एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से लाल बत्ती तोड़ने की तुलना में चार गुना से ज्यादा मौतें हुई हैं. आपको बता दें, अकेले साल 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 61,038 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. जबकि, साल 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 56000 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
किन वजहों से कितनी मौतें होती हैं
इस रिसर्च में ये भी बताया गया है कि सड़क दुर्घटना के दौरान किन वजहों से कितनी मौतें होती हैं. आपको बता दें, सबसे ज्यादा मौतें तेज़ स्पीड से गाड़ी चलाने पर होती हैं. साल 2022 में तेज स्पीड से गाड़ी चलाने पर 45,928 लोगो की मौत हो गई. जबकि, गलत साइड से गाड़ी चलाने पर 3,544 लोगों की मौत हो गई.
वहीं नशे में गाड़ी चलाने पर 1,503 लोगों की मौत हो गई. मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए गाड़ी चलाने की वजह से 1,132 लोगों की मौत हुई. जबकि, लाल बत्ती तोड़ने की वजह से 271 लोगों की मौत साल 2022 में हुई.
वहीं अन्य कारणों से सड़क दुर्घटनाओं के दौरान 8,660 लोगों ने अपनी जान गंवा दी.
दुनियाभर के आंकड़े पर एक नजर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 11 लाख 90 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं. खासतौर से 5 से 29 साल के लोगों के लिए सड़क दुर्घटनाएं मौत की बड़ी वजह है. सालभर में जितनी मौतें सड़क दुर्घटना में होती हैं, उनमें 23 फीसदी हिस्सा उन लोगों का होता है जो सड़क पर पैदल चल रहे होते हैं. जबकि, 21 फीसदी हिस्सा उनका होता है जो बाइक से चल रहे होते हैं. वहीं 6 फीसदी हिस्सा साइकिल से चलने वालों का होता है.
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