(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इस देश की डिग्री होती है सबसे ज्यादा रद्दी, नौकरी के लिए तरसते रहते हैं लोग
जहां दुनियाभर में लोग रोजगार के मकसद से शिक्षा प्राप्त करते हैं और डिग्रियां लेते हैं, वहीं एक देश ऐसा भी है जहां डिग्रियां लेने के बाद भी लोग नौकरियों के लिए तरसते हैं.
दुनियाभर में अच्छे से अच्छा रोजगार पाने के मकसद से लोग अच्छी से अच्छी पढ़ाई करते हैं औ बड़ी-बड़ी डिग्रियां पाते हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताएं जहां डिग्रियां रद्दी के समान हैं तो आप क्या कहेंगे? जी हां, एक देश ऐसा भी है जहां बड़ी से बड़ी डिग्री पाने के बाद भी लोग बेरोजगार हैं. इस देश की डिग्री पाकर दुनिया में कहीं भी नौकरी पाना मुश्किल होता है.
दरअसल हम बात कर रहे हैं इन दिनों युद्ध झेल रहे रूस की. रूस में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव आ रहे हैं, लेकिन यह बदलाव अक्सर सकारात्मक नहीं होते. रूस में उच्च शिक्षा हासिल करना कई लोगों का मुख्य उद्देश्य होता है, लेकिन वहां की डिग्रियों की वैल्यू अब पहले जैसी नहीं रही. यह समस्या रूस के युवाओं के लिए चिंता का कारण बन चुकी है, क्योंकि वो अच्छी डिग्री पाने के बावजूद अपनी योग्यता के मुताबिक नौकरी नहीं पा पाते.
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रूस में शिक्षा व्यवस्था
रूस में शिक्षा प्रणाली पहले काफी मजबूत मानी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों में यहां की गुणवत्ता में गिरावट आई है. कई विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता औसत से भी कम हो गई है. और इससे विद्यार्थियों के लिए रोजगार प्राप्त करने में समस्याएं पैदा हो रही हैं. अधिकांश छात्रों का मानना है कि उनकी डिग्री एक कागज के टुकड़े से ज्यादा नहीं है, क्योंकि उन्हें उम्मीद के मुताबिक नौकरी नहीं मिलती. इसके कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख है—शिक्षण संस्थाओं में सही से पढ़ाई न होना और लगातार बढ़ रहा भ्रष्टाचार. रूस में स्कूल या कॉलेज तो कई हैं लेकिन वहां सही शिक्षा उपलब्ध नहीं कराई जाती. ऐसे में लोगों के पास डिग्रियां तो हैं लेकिन वो किसी काम की नहीं.
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वहीं रूस में युवा बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है, खासकर उन छात्रों के लिए जिन्होंने महंगी यूनिवर्सिटीज से डिग्रियां ली हैं. शिक्षा प्राप्त करने के बाद, जब ये युवा नौकरी की तलाश में निकलते हैं, तो उन्हें निराशा का सामना करना पड़ता है. स्थिति यह है कि हाई एजुकेशन वाले लोग भी नीची मजदूरी वाली नौकरियों में काम करने को मजबूर हो जाते हैं, क्योंकि उन डिग्रियों की कोई वैल्यू नहीं रह गई है. वहीं रूस के युवा यदि किसी दूसरे देश में भी नौकरी पाना चाहें तो वहां भी उन्हें नौकरी नहीं मिलती, क्योंकि वहां की शिक्षा का स्तर दूसरे देशों से काफी कम है.
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