Delhi Assembly BR Ambedkar And Bhagat Singh Photo: दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने के बाद विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है. विधानसभा सत्र के दौरान सत्तापक्ष बीजेपी और विपक्ष आम आदमी पार्टी के बीच आरोप- प्रत्यारोप देखने को मिला. दरअसल आम आदमी पार्टी की तरफ से आरोप लगाया गया है कि बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा के सीएम ऑफिस से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर को हटा दिया है. नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने दिल्ली सरकार के इस कदम को दलित विरोधी करार दिया है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता जगजाहिर है और आज बीजेपी ने इसका प्रमाण देश के सामने रख दिया है. आतिशी के अलावा आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा.


चलिए आपको बताते हैं कि जिस सीएम ऑफिस में भगत सिंह-अंबेडकर की फोटो को लेकर बवाल हो रहा है आखिर उसे लगाने का नियम क्या है...


फोटो को लेकर क्या है नियम?
आमतौर पर देश की सभी सरकारी दफ्तरों के अंदर महापुरुषों में महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरें लगाई जाती हैं. इनके अलावा मौजूदा प्रधानमंत्री, राष्ट्र्पति और उस प्रदेश के मुख्यमंत्री की तस्वीरें लगाई जाती है. यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है. जब दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तों उन्होंने दोनों जगहों पर भगत सिंह और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरों को लगाया. सरकारी ऑफिस में किसकी तस्वीर लगेगी किसकी नहीं लगेगी इसे लेकर संविधान में कोई नियम या प्रावधान नहीं है. राज्य की सरकार अपनी सुविधा के अनुसार यह तय करती है कि किसी फोटो लगेगी किसकी फोटो नहीं लगेगी. 


महाराष्ट्र में जारी हुआ था आदेश 
दफ्तर में किसकी फोटो लगाई जाए इसे लेकर सबसे पहले साल 1949 में महाराष्ट्र में एक आदेश जारी किया गया था. आदेश के अनुसार सरकारी दफ्तरों के अंदर महात्मा गांधी के साथ कुछ खास लोगों की ही तस्वीरें लगाने को कहा गया था. इसके बाद तमिलनाडु में 1980 में जारी एक आदेश में कहा गया था कि वर्तमान राष्ट्रपति, वर्तमान प्रधानमंत्री, महात्मा गांधी, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू, बाबा साहेब अंबेडकर और संत तिरुवल्लुवर सहित कुछ अन्य जरूरी लोगों की तस्वीरें लगाई जाए. राज्य की सरकार अपनी सुविधा के अनुसार दफ्तरों में फोटो लगाने को लेकर आदेश जारी करती है. 


हाईकोर्ट गया था मामला 
अप्रैल 2021 में तमिलनाडु के सरकारी दफ्तरों में लगे इन तस्वीरों का मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा था. हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया था कि राज्य के सरकारी दफ्तरों में सिर्फ मुख्यमंत्री की तस्वीरें लगाई गईं हैं देश के वर्तमान प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरें नहीं लगाई गईं हैं. राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि मुख्यमंत्री, वर्तमान प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित सभी तस्वीरों को सरकारी दफ्तरों में लगाना अनिवार्य नहीं है. राज्य सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि साल 2006 के सरकारी आदेश में कहा गया है कि इन तस्वीरें में से विभाग अपनी सुविधा के हिसाब से किसी की तस्वीरें लगा सकता है. 


केंद्र के दफ्तरों के नियम 
केंद्र सरकार के दफ्तरों में महात्मा गांधी के साथ वर्तमान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें लगाने का निर्देश है. इसके लिए पीआईबी की तरफ से जरूरी जानकारी और तस्वीरें उपलब्ध कराई जाती है. 


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