Delhi Floods: यमुना ने तोड़े रिकॉर्ड! जानिए क्या होता है नदी में खतरे का निशान
Yamuna: भारत की प्रमुख नदियों गंगा, यमुना और सिंधु आदि में मानसून में बारिश का पानी नदी की क्षमता से अधिक हो जाता है, जिससे नदी अपने क्षेत्र या किनारों से बाहर बहने लगती है. जिसे 'बाढ़' कहते हैं.
Delhi Floods: बरसात के मौसम में बाढ़, भूस्खलन, बादल फटना, नदियां आदि कई शब्द चर्चा में रहते हैं. अधिक बरसात होने के कारण नदियों को जलस्तर बढ़ जाता है, कई बार तो इससे आसपास के इलाकों में बाढ़ तक आ जाती है. ऐसे ही हालात दिल्ली में भी बनें हुए हैं. दिल्ली में यमुना के अधिकतम जलस्तर का 45 साल पुराना रिकॉर्ड भी टूट गया. दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 208.66 मीटर तक दर्ज हुआ. इससे 1978 को यमुना का 'अधिकतम फ्लड लेवल' 207.49 मीटर था. दिल्ली में बाढ़ की खबरे सुन आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि नदी के वाटर लेवल को कैसे मापा जाता है? आइए जानते हैं कि कई भी नदी के जलस्तर में खतरे के निशान के क्या मायने हैं?
बरसात में उफान पर होती हैं नदियां
भारत की प्रमुख नदियां गंगा, यमुना और सिंधु आदि मॉनसून के मौसम में उफान पर आती हैं. इस समय बारिश का पानी नदी की क्षमता से अधिक हो जाता है, जिससे नदी अपने क्षेत्र या किनारों से बाहर बहने लगती है. ऐसे में, नदी के किनारे स्थित शहरों, गांवों और कस्बों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है.
क्या होता है खतरे का निशान?
सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग नदी के जलस्तर और फ्लो की निगरानी के लिए कई उपाय अपनाते हैं. नदी के अंदर एक बड़ा पिलर स्थापित करके इसपर एक स्केल लगाई जाती है, ताकि नदी की क्षमता और जलस्तर को मापा जा सके. जब नदी में पानी इस स्केल की क्षमता से अधिक होता है, तो उसे "खतरे के निशान" पार करना कहा जाता है.
खतरे का निशान पर होने पर क्या किया जाता है?
सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग नदी के जलस्तर को कम करने के लिए नदी को अन्य नदियों और नहरों की ओर मोड़ते हैं. हालांकि, जब लगातार भारी बारिश होती है, तो सरकारी मशीनरी से नदी का नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है और नदी का पानी आसपास के निचले इलाकों में भर जाता है, जिसे हम बाढ़ कहते हैं. दिल्ली, भारत की राजधानी, में बाढ़ का खतरा वाले कुछ इलाकों में सीलमपुर की किसान बस्ती, सोनिया विहार में एमसीडी टोल, गढ़ी मांडू गांव, पुराना लोहे का पुल, बदरपुर खादर गांव, आईएसबीटी वाली किसान बस्ती, अन्नपूर्णा मंदिर, उस्मानपुर पुस्ता और सबपुर बस टर्मिनल शामिल हैं.
दिल्ली के ये इलाके भी डूबने वाले क्षेत्रों में आते हैं
दिल्ली के सचिवालय, आईटीओ के आसपासी इलाके, लाल किला, यमुना बाजार, लक्ष्मी नगर, विवेक विहार, आनंद विहार, प्रीत विहार, कृष्णा नगर, शाहदरा, वजीराबाद, बाबरपुर, अलीपुर, नांगलोई नजफगढ़ सेक्टर, आईएसबीटी, कश्मीरी गेट, यमुना के निकट ओखला, पल्ला विलेज, तुगलकाबाद, मॉडल टाउन, मुखर्जी नगर, निरंकारी कॉलोनी, बुरारी, संत नगर, गीता कॉलोनी, शास्त्री पार्क और कई अन्य इलाके भी यमुना के डूबने वाले क्षेत्र में आते हैं.
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