दोस्त या रिश्तेदारों को अपनी गाड़ी देने से पहले जान लें, अगर उससे एक्सीडेंट हुआ तो आपके साथ क्या होगा!
Delhi Kanjhawala case: नए नियमों के अनुसार कार, ट्रक या बस सहित अन्य वाहनों से दुर्घटना होने पर वाहन मालिक और बीमा कंपनी पर हादसे की जिम्मेदारी नहीं होगी.
Road Accident Rules For Vehicle Owner: दिल्ली में 20 साल की अंजलि के साथ जो हुआ उसे देख सबका दिल दहल गया है. हत्या के पांचों आरोपी अब कानून की गिरफ्त में हैं. जिसके बाद यह बात सामने आई है कि 31 दिसंबर की रात उन लोगों ने जिस कार से अंजलि को 12 किलोमीटर तक घसीटा था. वो कार उन पांचों में से किसी की भी नहीं थी, बल्कि उस कार को आरोपी मांग कर लाए थे. अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं कि किसी वाहन से एक्सीडेंट को अंजाम दिया गया और गाड़ी का मालिक उस वक्त वाहन में सवार नहीं था. ऐसे में, एक सवाल यह बनता है कि इस स्थिति में गाड़ी के मालिक को किस कानूनी कार्रवाई से गुजरना होगा? आइए आज इसी बारे में चर्चा करेंगे...
किसकी होगी दुर्घटना की पूरी जिम्मेदारी?
सड़क हादसा होने के बाद वाहन ड्राइवर के मौके से फरार हो जाने पर कागजों के आधार पर एफआईआर वाहन मालिक पर हो जाया करती थी. नए मोटर-व्हीकल एक्ट के तहत ऐसे मामलों में पूरी तरह से वाहन ड्राइवर को ही दोषी माना जाएगा. अगर वाहन का बीमा भी है तब भी उसे दावे का लाभ नहीं मिलेगा. ऐसे मामलों में ड्राइवर को 6 साल तक की सजा और 50 हजार के जुर्माने का भी प्रावधान है.
ड्राइवर पर लगेंगी कौनसी धाराएं?
कानून के जानकारों के अनुसार, कार या पैसेंजर वाहन से हुए हादसे में अगर किसी की मौत होती है या वो गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो पुलिस आरोपी ड्राइवर के खिलाफ आईपीसी की धारा 279, 304 या 304 ए के तहत मुकदमा दर्ज करती है.
कितनी हो सकती है सजा?
इस तरह के हादसों में ड्राइवर के दोषी पाए जाने पर उसे धारा 279 के तहत किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी, जिसे छह महीने तक बढ़ाया भी जा सकता है. इसके अलावा उस पर एक हजार रुपये तक का आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों दंड भुगतने पड़ सतके हैं. इसमें जमानत हो सकती है.
ड्राइवर के धारा 304 के तहत दोषी पाए जाने पर उसे आजीवन कारावास या दस साल तक की सजा और जुर्माने से दंडित किया जाएगा. वहीं, आरोपी पर धारा 304ए सिद्ध होने पर उसे किसी भी प्रकार की कारावास की सजा दी जा सकती है, जिसकी अवधि 2 साल तक हो सकती है. इसके अलावा उसको जुर्माने से भी दंडित किया जायेगा या फिर दोनों तरह से दंडित किया जाएगा.
क्या वाहन मालिक के खिलाफ होगी FIR?
कुछ वर्षों पहले परिवहन मंत्रालय ने सड़क दुर्घटना के ऐसे मामलों में होने वाले कानूनी प्रवधानों में संशोधन किया और नए नियम लागू किए. नए नियमों के अनुसार कार, ट्रक या बस सहित अन्य वाहनों से दुर्घटना होने पर वाहन मालिक और बीमा कंपनी पर हादसे की जिम्मेदारी नहीं होगी. ऐसा मामला सीधे तौर पर गाड़ी के ड्राइवर के खिलाफ होगा और उसी पर ही कानूनी कार्रवाई होगी.
परिवहन मंत्रालय के मोटर-व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद वाहन मालिक पर मामला दर्ज नहीं होगा और ना ही दावा करने पर बीमा कंपनी किसी तरह की मदद कर पाएगी. अगर वाहन मालिक को उसके वाहन से हुए हादसे की कोई खबर नहीं है तो ऐसे में कार मालिक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है. हालांकि, पुलिस नोटिस भेजकर मालिक को पूछताछ के लिए बुला सकती है.
कब होगी वाहन मालिक पर कार्रवाई?
ऐसे मामले, जिसमें भले ही कार मालिक हादसे के वक्त वाहन में मौजूद नहीं था, लेकिन उसे यह जानकारी थी कि कार मांग कर ले जाने वाला व्यक्ति कोई वारदात करने जा रहा है तो कार मालिक को भी आरोपियों की साजिश में शामिल माना जाएगा और उसपर कानूनी कार्रवाई होगी. इसके अलावा अगर दुर्घटनाग्रस्त वाहन परिवहन विभाग के पैमानों पर फिट ना हो यानी उसके दस्तावेज पूरे नहीं हैं, इंश्योरेंस या पोल्यूशन सर्टिफिकेट खत्म हो चुका है, तो वाहन मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.
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