MCD Election Result: दिल्ली के पार्षद को कितनी सैलरी मिलती है? क्या होता है उसका मुख्य काम, जानिए सब कुछ
Delhi MCD Councillor Salary: दिल्ली नगर निगम के पार्षदों को प्रति मीटिंग के हिसाब से पैसे मिलते हैं लेकिन ये कितने होते हैं, जानिए पूरी डिटेल.
Delhi MCD councillor salary: दिल्ली में चल रहे एमसीडी चुनाव के स्पष्ट रिजल्ट आने में बस कुछ ही समय और बचा है. रुझानों को देखकर साफ पता चल रहा है कि राजधानी में आम आदमी पार्टी बढ़त की ओर है. दिल्ली की जनता ने भी इस चुनाव में खूब बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस पार्षद को जिताने के लिए आपने वोट दिया है, क्या आपको पता है कि उन्हें महीने की सैलरी कितनी मिलती है. क्या ये वाकई सैलरी होती है. एक पार्षद जो इतना आपके एरिया में काम कराने का जिम्मेदार होता है, वो कैसे अपना खर्च चलाता है.
कितनी मिलती है दिल्ली पार्षद को सैलरी
दिल्ली नगर निगम के पार्षदों को सालाना फिक्स सैलरी के तौर पर कुछ नहीं मिलता. निगम में चुने गए एक पार्षद को हर मीटिंग के 300 रुपए मिलते हैं. एक पार्षद की महीने में 5 से 6 मीटिंग या फिर कभी-कभी इससे ज्यादा भी हो सकती हैं. हालांकि, बाकी खर्चों के लिए भी दिल्ली नगर निगम पार्षदों को अलग से पैसे मिलते हैं. जिसे आप भत्ते के तौर पर जानते हैं.
पार्षदों को काम करने के लिए फंड कितना मिलता है
दिल्ली नगर निगम पार्षदों को मिलने वाले फंड की बात करें तो उन्हें सालाना 1 करोड़ रुपए का फंड मिलता है. यह फंड उन्हें अपने क्षेत्र में काम कराने के लिए मिलता है. हालांकि, दिल्ली में ऐसे बहुत कम ही पार्षद हैं जो इस पूरे फंड का इस्तेमाल कर पाते हैं. दरअसल, इस फंड से आप तब तक पैसे विड्रॉल नहीं कर सकते जब तक कि आप कोई काम नहीं शुरू करते. लेकिन कई बार इस फंड को लेकर पार्षदों पर विरोधी पार्टियों द्वारा भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं.
एक पार्षद बनने की योग्यता क्या होती है
दिल्ली नगर निगम पार्षद बनने के लिए जो योग्यता चाहिए, वह सिर्फ इतनी है कि आप जिस वार्ड से चुनाव लड़ना चाहते हैं, उस वार्ड के वोटर लिस्ट के सदस्य हों और आपकी उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए. इसके साथ ही आपका कम से कम 10 वीं पास होना भी अनिवार्य है. हालांकि, दिल्ली से बाहर अलग-अलग राज्यों में पार्षदों के चुनाव लड़ने की योग्यता के लिए अलग-अलग नियम हैं.
पार्षद का प्रमुख काम क्या होता है?
एक नगर निगम पार्षद का प्रमुख काम होता है अपने वार्ड के अंतर्गत आने वाले तमाम विकास कार्यों को तत्परता से कराना. एक पार्षद को जो जिम्मेदारियां मिलती हैं वो हैं उसके वार्ड के अंतर्गत, आने वाली तमाम गलियों, नालियों सड़कों और सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई और उसके रखरखाव का ध्यान रखना. इसके साथ ही वार्ड के अंतर्गत होने वाले नए विकास कार्यों में भी पार्षद की अहम भूमिका होती है. इन्हीं सब कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए एक पार्षद को सालाना एक करोड़ रुपए का फंड आवंटित होता है.
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