Pollution: जब दिल्ली की तरह लंदन में बिछ गई थी स्मॉग की चादर, सब कुछ हो गया था ठप
Great Smog Of London: लंदन में कई साल पहले स्मॉग से हालात बदतर हो गए थे, करीब पांच दिन तक पूरा लंदन बंद हो गया था. इसे 'द ग्रेट स्मॉग ऑफ लंदन' के नाम से लोग जानते हैं.
Great Smog Of London: दिल्ली और एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जैस हालात बने हुए हैं. चारों तरफ खतरनाक स्मॉग की चादर बिछी हुई है. दिवाली पर पटाखों ने इसे और खतरनाक बना दिया. फिलहाल दिल्ली और उसके आसपास के लोग इस जहीरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं. हालांकि इसमें अब कुछ नया नहीं है, हर साल दिल्ली का यही हाल होता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही ये समस्या है, दुनिया के कई देशों ने भी ऐसी स्थिति का सामना किया है. आज हम आपको वो कहानी बता रहे हैं, जब पॉल्यूशन के चलते लंदन पूरी तरह से ठप पड़ गया था.
जब थम गया था पूरा लंदन
ब्रिटेन के लंदन में साल 1952 में देखते ही देखते स्मॉग की एक मोटी चादर बनती गई, हालात कुछ ऐसे हो गए कि सड़कों पर कुछ भी नहीं दिख रहा था. इस वजह से पूरा लंदन थम गया, एक तरह से लोग लॉकडाउन में चले गए थे. 5 दिसंबर 1952 से लेकर 9 दिसंबर तक हालात यही रहे. इसके लिए इंडस्ट्रीज से निकलने वाले प्रदूषण और मौसम को जिम्मेदार ठहराया गया. इसे आज 'द ग्रेट स्मॉग ऑफ लंदन' के नाम से लोग जानते हैं.
लंदन के हर गली चौराहे पर फैले इस प्रदूषण के चलते वहां लोगों को सांस की कई बीमारियां भी हुईं और कुछ सालों में हजारों लोगों की इसके चलते मौत हो गई. इसे देखते हुए ब्रिटिश सरकार को महसूस हुआ कि प्रदूषण को लेकर एक कानून बनाना जरूरी है. ब्रिटेन की संसद ने इससे निपटने के लिए क्लीन एयर एक्ट नाम से एक कानून पारित किया. इस कानून के बनने के बाद यहां के लोगों ने भी इसका पालन किया और हालात सुधरने लगे.
बीजिंग ने भी किया सुधार
चीन की राजधानी बीजिंग में भी दिल्ली और मुंबई जैसे हालात थे. एक वक्त ऐसा था जब बीजिंग भी प्रदूषण की चादर से लिपटा था और यहां स्कूल-दफ्तर सब बंद करने पड़ते थे. कोयला जलाने को इसका कारण बताया गया. हालांकि चीन ने इससे निपटने के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए, जिनका असर आज वहां दिख रहा है. बीजिंग ने अलग-अलग चरणों में पॉल्यूशन से निपटने के लिए कार्यक्रम शुरू किए, पिछले करीब 22 सालों में चीन के बीजिंग में हवा में मौजूद जहरीली गैसों में कमी देखी गई है.
भारत के लिए सीख
बीजिंग में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम, कोयले का कम जलना, वाहनों के प्रदूषण पर लगाम और नियमों में सख्ती के चलते हालात सुधर रहे हैं. आज दुनियाभर के देशों को इस मॉडल पर चलने की सलाह भी दी जाती है. भारत के लिए भी ऐसे देशों से सीखने का मौका है, क्योंकि भले ही आज स्वस्थ लोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही हो, लेकिन अगले कुछ सालों में उन्हें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. हवा में फैला ये जहर लगातार शरीर को अंदर से बीमार कर रहा है और लोगों की उम्र कम कर रहा है.
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