Delhi Pollution: दिल्ली और एनसीआर में एक बार फिर धुएं की चादर बिछ गई है, एयर क्वालिटी इंडेक्स पर आंकड़ा बेहद गंभीर स्थिति पर पहुंच चुका है. बारिश से राहत मिलने के बाद दिवाली पर हुई आतिशबाजी ने फिर से स्मॉग बना दिया और अब लोगों को जहरीली हवा में सांस लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है. अब सवाल है कि इस धुएं को छंटने में कितने दिन लग सकते हैं और लोगों को कब तक पटाखों के इस जहर को झेलना पड़ेगा...


ठंड में धुएं का छंटना मुश्किल
क्योंकि हर बार दिवाली का त्योहार ठंड के मौसम में आता है, यही वजह है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं जल्दी से नहीं छंटता. मौसम में नमी के चलते धुआं ऊपर उड़ने की बजाय जमीन पर ही रहता है और लोगों को परेशान करता है. हवा में मौजूद धूल के कण, कोहरा और गाड़ियों के निकलने वाले धुएं के साथ मिलकर पटाखों का धुआं काफी खतरनाक कॉम्बिनेशन बनाता है. जिससे लोगों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. 


कितने दिनों में मिलेगी राहत?
अब सवाल है कि ये जहरीला धुआं कब तक दिल्ली और एनसीआर के लोगों को परेशान करेगा? इसका सटीक जवाब दे पाना तो मुश्किल है, लेकिन ठंड के चलते ऐसा होना फिलहाल मुमकिन नहीं दिख रहा है. अगर बारिश नहीं होती है तो ये धुआं अगले कई दिनों या हफ्तों तक दिल्ली-एनसीआर के लोगों को परेशान कर सकता है. वहीं अगर पराली जलने की घटनाएं बढ़ती हैं तो प्रदूषण और खतरनाक स्तर तक जा सकता है. 


सरकार की तरफ से कई जगहों पर एंटी स्मॉग गन्स के जरिए पानी का छिड़काव किया जाता है, लेकिन ये उतना कारगर साबित नहीं होता. क्योंकि धुआं हर गली और चौराहे पर है, जिन्हें कवर करना मुमकिन नहीं है. ऐसे में बारिश ही एक ऐसा तरीका है, जिससे इस खतरनाक पॉल्यूशन से निजात मिल सकती है. दिवाली से तीन दिन पहले हुई बारिश से भी यही हुआ था, तब दिल्ली का एक्यूआई 200 से नीचे आ गया था.



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