Odd-Even Formula: कहां से आया था ऑड-ईवन का आईडिया, सबसे पहले कहां हुआ था लागू?
Odd-Even Formula: दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार ने सबसे पहले साल 2016 में ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू किया, इस फॉर्मूले को लेकर अलग-अलग विवाद हैं.
Delhi Pollution: प्रदूषण ने एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. इसके चलते लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ दिनों में पॉल्यूशन का लेवल सामान्य से 100 गुना ज्यादा हो गया है. यानी दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हैं. इसी बीच दिल्ली सरकार की तरफ से एक बार फिर ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू किया जा रहा है. दिवाली के दूसरे दिन से दिल्ली में ऑड और ईवन नंबर की गाड़ियां अलग-अलग दिन चलेंगीं. क्या आप जानते हैं कि इस तरह का फॉर्मूला सबसे पहले कहां लागू हुआ था?
क्या है ऑड-ईवन?
दरअसल दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार ने सबसे पहले साल 2016 में ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू किया. इस दौरान सभी के लिए ये टर्म नया था, लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ये क्या है. इस फॉर्मूले के तहत ऑड तारीख पर सिर्फ वही गाड़ियां चल सकती हैं, जिनका आखिरी नंबर ऑड (3,5,7,9) है. वहीं ईवन तारीख पर ईवन नंबर (2,4,6,8) की गाड़ियों को सड़कों पर उतरने की इजाजत होती है.
इन देशों ने किया था लागू
दिल्ली में लागू होने वाले इस फॉर्मूले को सबसे पहले मैक्सिको की कैपिटल सिटी में लाया गया था. इसे "hoy no circula" के नाम से लोग जानते थे. जिसका मतलब था कि आज आपकी कार नहीं चलेगी. इसके बाद दुनिया के कई देशों में ऐसे नियम बनाए गए. बीजिंग, ब्राजील, कोलंबिया और पेरिस जैसी जगहों पर ऑड-ईवन जैसे नियम लागू हुए. यानी यहां भी अलग-अलग दिन के हिसाब से गाड़ियां सड़कों पर उतरीं.
बता दें कि हर साल अक्टूबर से लेकर जनवरी तक दिल्ली में प्रदूषण की समस्या होती है, इस दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स 1 हजार से ज्यादा हो जाता है. फिलहाल दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप पर है. टॉप-5 में भारत के तीन शहर शामिल हैं.
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