जाम में कितना पेट्रोल खर्च कर रहे दिल्ली के लोग, जानें आपकी कितनी सैलरी चढ़ जाती है ट्रैफिक की बलि?
Delhi Traffic Jam: हाल ही में दिल्ली के ट्रैफिक को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्लीवासी ट्रैफिक में अपनी सैलरी का कितना हिस्सा गंवा देते हैं. चलिए आपको बताते हैं.

Delhi Traffic Jam: बड़े शहरों में रहने के अपने बहुत से फायदे होते हैं. लेकिन इसके बहुत से नुकसान भी होते हैं. अगर आप दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई जैसे शहरों में रहते हैं. तो आपको जो चीज सबसे ज्यादा परेशान करती होगी वह है ट्रैफिक. बड़े शहरों में ट्रैफिक के चलते लोगों का बहुत वक्त खराब हो जाता है. अगर किसी के 10 बजे का ऑफिस टाइम है.
तो ऑफिस पहुंचने के लिए 2 घंटे पहले निकलना होता है. ट्रैफिक में न सिर्फ लोगों का वक्त खराब होता है. बल्कि पेट्रोल भी बेकार होता है. हाल ही में दिल्ली के ट्रैफिक को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्लीवासी ट्रैफिक में अपनी सैलरी का कितना हिस्सा गंवा देते हैं. चलिए आपको बताते हैं.
दिल्ली में ट्रैफिक जाम खा जाता है इतनी सैलरी
दिल्ली का जाम पूरी दुनिया में बदनाम है. इस वजह से ना सिर्फ दिल्ली के लोगों की सेहत खराब होती है. बल्कि उनकी आर्थिक सेहत पर भी असर पड़ता है. दिल्ली के ट्रैफिक जाम में दिल्ली वालों की सैलरी का अच्छा खासा हिस्सा चला जाता है. भले ही दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक को सही से मैनेज करने के लिए बहुत सारी कोशिशें की जा रही है. लेकिन बावजूद इसके अभी भी ट्रैफिक जाम काफी लंबा लगता है.
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दिल्ली के ट्रैफिक जाम को लेकर विज्ञान और पर्यावरण केंद्र ने एनाटॉमी ऑफ दिल्ली कंजेशन नाम से एक डिटेल्ड रिपोर्ट जारी की है. जिसमें बताया गया है कि दिल्ली वाले अपनी सैलरी का 4 से 12 फ़ीसदी तक ट्रैफिक जाम के चलते गंवा देते हैं. सालाना बात की जाए तो 7,500 हजार रुपये से 20,100 रुपये तक का नुकसान होता है. बता दें इस कैलकुलेशन के लिए राज्य श्रम विभाग की ओर से जारी की गई न्यूनतम मजदूरी को आधार बनाया गया.
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25 सड़को का किया गया विश्लेषण
बता दें सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की रिपोर्ट को तैयार करने के लिए दिल्ली की 25 प्रमुख सड़कों का विश्लेषण किया गया. इन सड़कों पर अलग-अलग वक्त में अलग-अलग वाहनों की रफ्तार चेक की गई. जिसमें पता लगाया कि पीक समय पर सड़कों पर गुजरने वाले वाहनों की रफ्तार आमतौर पर 41 से लेकर 56 फीसदी तक कमी आती है.
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