जब भी शरीर के किसी हिस्से की सर्जरी होती है तो दांतों की भी जांच होती है. अब आप सोच रहे होंगे कि जब भी कोई ऑपरेशन होता है तो दांत की जांच क्यों जरुरी है. हो सकता है कि आपको ऐसा तथ्य पहली बार पता चल रहा हो. तो आज हम आपको बताते हैं कि क्या सही में ऑपरेशन से पहले दांत चेक किए जाते हैं और अगर ऐसा तो है फिर क्यों ऐसा किया जाता है. दांत और किसी सर्जरी के बीच काफी कनेक्शन है, जिसकी वजह से ऐसा किया जाता है. तो जानिए इस प्रोसेस से जुड़ी हर एक बात.
क्या सही में ऐसा होता है?
जी हां, ये सच है कि बॉडी में होने वाली कोई भी सर्जरी से पहले दांतों का टेस्ट होता है. लेकिन हार्ट, जॉइंट, घुटने जैसे कुछ अंगों की सर्जरी में तो खास ध्यान रखा जाता है और दांतों की सफाई और दांत में होने वाली दिक्कत का खास ध्यान रखा जाता है.
क्यों चेक किए जाते हैं दांत?
सर्जरी से पहले डेंटल टेस्ट से दांतों में होने वाले इंफेक्शन, दांतों की किसी दिक्कत या रोग के बारे में पता लगाया जाता है. इसकी अहम वजह बैक्टीरिया के बारे में जानना है. अगर दांतों में कोई दिक्कत होती है तो उसके बैक्टीरिया से सर्जरी पर काफी प्रभाव पड़ सकता है. दरअसल, दांत में अधिकतर दिक्कतें बैक्टीरिया को लेकर होती है और अगर बैक्टीरिया निकलते हैं तो ये बैक्टीरिया सर्जरी वाले स्थान पर चले जाते हैं और इससे कोई ना कोई दिक्कत होने का चांस रहता है.
ऐसे में जब कोई भी ट्रांसप्लांट होता है या कोई बड़ी सर्जरी होती है तो दिक्कत रहती है. इस स्थिति में अगर दांत के बैक्टीरिया सर्जरी वाले स्थान पर जाकर इंफेक्शन को बढ़ावा देते हैं. कई सर्जरी में सर्जरी से कुछ हफ्ते ही इसकी जांच कर ली जाती है और दिक्कत है तो सर्जरी की डेट को आगे बढ़ा दिया जाता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंह में एक फूओबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम नाम का सबसे आम बैक्टीरिया होता है, जो अक्सर दांतों की अच्छे से सफाई ना हो पाने की वजह से पैदा हो जाता है. खास बात ये है कि इसके लक्षण ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं और अक्सर लोगों में वो दिक्कत होती है और इसे लोग नजरअंदाज करते हैं.
जैसे कैविटीज और पेरियोडोंटल वाले बैक्टीरिया काफी आम होते हैं और ये सर्जरी के वक्त खून में प्रवेश कर जाते हैं और हार्ट सर्जरी में ऐसे होना दिक्कत की वजह बनता है. जब ट्रांसप्लांट होता है तो ये कृत्रिम अंद में चले जाते हैं, जिससे भी दिक्कत हो जाती है. ऐसे में कुछ सर्जरी के वक्त डेंटिस्ट और सर्जन एक साथ काम करते हैं.
ये भी पढ़ें- वासुकी या शेषनाग नहीं, बल्कि ये थी दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन... इसमें थे 400-500 से कहीं ज्यादा डिब्बे!