भारत नदियों का देश है. यहां नदियों को देवी तरह पूजा जाता है, उन्हें मां माना जाता है. दरअसल, इस देश को नदियों ने ही इतना समृद्ध बनाया है कि एक समय में इसे पूरी दुनिया में सोने की चीड़िया के नाम से जाना जाता था. हालांकि, आज हम आपको जिस नदी के बारे में बताने वाले हैं, वो सिर्फ भारतीय लोगों के खेत ही नहीं सींचती, बल्कि उन्हें हीरे और अन्य प्रकार के रत्न भी देती है. दरअसल, हम जिस नदी की बात कर रहे हैं, उसके बारे में कहा जाता है कि इसी नदी से कोहिनूर निकला था.


कौन सी है वो नदी?


हम जिस नदी की बात कर रहे हैं वो भारत के आंध्र प्रदेश में है. इस नदी का नाम है कृष्णा नदी. हिंदुओं के लिए ये नदी बेहद पवित्र है. हिंदू लोग इस नदी की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि इसी नदी के किनारे कुल्लूर की खदानों में कोहिनूर मिला था. वहीं दुनिया के दस बड़े हीरों में से सात यहीं से निकले हैं. इस नदी का पानी आंध्र प्रदेश के साथ साथ चार और राज्यों में जाता है. भारत की ये चौथी सबसे बड़ी नदी है, लेकिन हीरे उगलने के मामले में ये नदी सबसे ऊपर है. इस नदी से हीरे के साथ साथ अन्य रत्न भी मिलते हैं.


मुगलों के हाथ कैसे आया था ये हीरा?


बाबर की आत्मकथा बाबरनामा में इस हीरे का जिक्र मिलता है. इसमें लिखा है कि पानीपत की लड़ाई के बाद जब हुमायू ने आगरा पर फतह हासिल की तो उस वक्त ग्वालियर के एक राजा ने हुमायू के एक बड़ा हीरा दिया था. इसी हीरे को बाद में हुमायू ने अपने पिता बाबर को दिया था. बाद में बाबर ने जब अपना मयूर सिंहासन बनवाया तो उसने इसमें इस हीरे को जड़वा दिया.


कोहिनूर इतना छोटा कैसे हो गया?


कहा जाता है कि जब मुगलों के हाथ में ये हीरा था तो इसका आकार लगभग 793 कैरेट के आसपास था. लेकिन जब सत्ता औरंगजेब के हाथों में आई तो उसने इस हीरे को वेनिस शहर के होर्टोस बोर्जिया को तराशने के लिए दे दिया. बोर्जिया ने इसे इतनी बेकदरी से तराशा कि इसका आकार घट कर 186 कैरट ही रह गया. औरंगजेब इससे काफी नाराज हुआ था और बोर्जिया पर 10000 रुपये का जुर्माना लगा दिया.


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