ये कल्पना से परे है कि कभी इस पृथ्वी पर डायनासोर जैसे विशाल जीव रहते थे. अगर इन जीवों के अवशेष नहीं मिलते तो लोग इन बातों पर विश्वास भी नहीं करते. अब तक वैज्ञानिकों ने अपनी खोज से कई प्रकार के डायनासोर की खोज की है. लेकिन आज हम जिसकी बात कर रहे हैं उसके अवशेष कभी भी आज से पहले भारत में नहीं मिले थे. चलिए आपको आज इस खास डायनासोर के बारे में बताते हैं.


सबसे खास हैं डाइक्रियोसॉरिड सॉरोपॉड डायनासोर


हम जिस खास डायनासोर की बात कर रहे हैं उसे डाइक्रियोसॉरिड सॉरोपॉड कहते है. ये बेहद रेयर डायनासोर थे. इनका शरीर अन्य डायनासोर के मुकाबले छोटा होता है, लेकिन ये काफी मजबूत और तेज होते हैं. डिप्लोडोकॉइड्स समुह से संबंध रखने वाले ये डायनासोर आज से पहले भारत में कभी नहीं मिले थे. लेकिन अब इसके अवशेष राजस्थान के जैसलमेर शहर के पास रेगिस्तान में मिले हैं. 


इतने करोड़ साल पुराना है जीवाश्म


राजस्थान के रेगिस्तान में मिले डाइक्रियोसॉरिड सॉरोपॉड डायनासोर के जीवाश्म लगभग 16.7 करोड़ साल पहले के हैं. इनकी पहचान वैज्ञानिकों ने डाइक्रेओसॉरिड्स के रूप में की है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी गर्दन लंबी होती थी और ये सिर्फ पत्तियां खा कर जिंदा रहते थे. वैज्ञानिकों की मानें तो ये दुनिया के सबसे पुराने डायनासोर्स में से एक था. आपको बता दें ये खोज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पुरातत्वविदों की एक टीम ने किया. इससे जुड़ा लेख  जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित भी हुआ है. वैज्ञानिकों को इसी शोध में पता चला कि रेगिस्तान का यह इलाका मोसोजोइक युग में टेथिस महासागर के किनारे था.


सबसे बड़ा मांसाहारी डायनासोर


डायनासोर मुख्य रूप से पृथ्वी पर दो प्रकार के हुए. इनमें एक शाकाहारी थे और दूसरे मांसाहारी. मांसाहारी डायनासोर की बात करें तो हाल ही में इग्लैंड में दुनिया के सबसे बड़े मांसाहारी डायनासोर का जीवाश्म मिला. ये जीवाश्म आइल ऑफ वाइट पर समुद्र के किनारे मिला. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये धरती पर करीब 12.5 करोड़ साल पहले मौजूद रहा होगा.


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