बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह अपनी दो शिष्याओं से रेप के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे हैं. बाबा रहीम को लेकर कई तरह का दावा किया जाता है, जिसमें कहा जाता है कि उनके पास विष कन्याएं थी. अब सवाल ये है कि विष कन्याएं किसको कहते हैं और इनका क्या काम होता है.


बाबा राम रहीम


बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह अपनी दो शिष्याओं से रेप के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे हैं. वो हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद है. बता दें कि बाबा राम रहीन को 2017 में सजा सुनाई गई थी. इसके अलावा डेरा प्रमुख गुरमीत और तीन अन्य को 16 साल पुराने पत्रकार हत्याकांड में 2019 में दोषी ठहराया गया था.


कौन होती है विषकन्या? 


बता दं कि वैदिक साहित्य, लोक कथाओं और इतिहास में हमेशा से ही विषकन्याओं का जिक्र मिलता है. दरअसल विषकन्या उस स्त्री को कहा जाता है, जिसे बचपन से ही थोड़ा-थोड़ा विष देकर जहरीला बनाया जाता है. प्राचीन समय में राजा-महाराजाओं के पास विषकन्याएं हुआ करती थीं. इनका काम सबसे खतरनाक दुश्मन को मारना या फिर उनसे कोई भेद निकालना होता था. इनके विषकन्या बनने की भी खास प्रक्रिया होती थी.


कैसे होती थी विषकन्याओं की ट्रेनिंग


बता दें कि विषकन्याओं को विषैले वृक्ष और जीव-जंतुओं के बीच रहने का अभ्यस्त बनाया जाता था. इतना ही नहीं उन्हें नृत्य-गीत, साहित्य, सजने-संवरने और लुभाने की कला में पारंगत बनाया जाता था. इसके अलावा विषकन्याओं को सभी प्रकार की छल विद्याओं में माहिर बनाया जाता था, ताकि राजा-महाराजा इनका इस्तेमाल करके अपने शत्रुओं को छलपूर्वक मृत्यु के घाट उतार सकें.


मगध साम्राज्य में विषकन्या


इतिहास में विषकन्याओं का जिक्र मगध साम्राज्य के समय में मिलता है. उस समय चाणक्य कई विषकन्याओं के संपर्क में थे. इनका इस्तेमाल शत्रुओं को मारने के लिए किया जाता था. दरअसल इन महिलाओं को बचपन से ही विष की थोड़ी-थोड़ी खुराक देकर बड़ा किया जाता था. किसी भी लड़की को विषकन्या बनाने के लिए उसे हर दिन बहुत ही कम मात्रा में धीरे-धीरे जहर पिलाया जाता था. इसकी मात्रा इतनी कम होती थी कि वह शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना बड़े आराम से पच जाता था, परंतु विष का गुण उसके शरीर में कायम रहता था.


राजा-महाराजाओं के पास विषकन्या


विषकन्याओं के पास विष इतनी मात्रा में विषाक्त हो जाता था कि कोई भी व्यक्ति उसके पास आकर जीवित नहीं बचता था. उस समय राजा- महाराजा ऐसी विष कन्याओं को अपने दुश्मन राजा के पीछे लगा देते थे और वह उन्हें अपने प्रेम जाल में फंसा कर मार डालती थीं. विषकन्याओं के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने सामान्य स्तर से बहुत अधिक उच्च स्तर पर होती थी. वे केवल अपनी मृत्यु के समय ही थोड़ी बीमार पड़ती थीं. 


ये भी पढ़ें:अब सामने आई डिंगा डिंगा बीमारी, जानें कैसे रखे जाते हैं बीमारियों के नाम