किसी का बर्थडे हो या फिर कोई पार्टी, ब्लैक फॉरेस्ट केक हर किसी की पहली पसंद होती है. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इस केक का नाम ब्लैक फॉरेस्ट कैसे पड़ गया? तो बता दें कि ये कहानी काफी दिलचस्प है, जो एक जंगल से निकली है.
कैसे पड़ा ब्लैक फॉरेस्ट केक का नाम?
ब्लैक फॉरेस्ट लगभग हर किसी की पहली पसंद है, इसका लाजबाव टेस्ट सभी को लुभा लेता है. इसके नाम के पिछे भी दिलचस्प कहानियां हैं. ऐसा माना जाता है कि इस केक का पता 1500 के दशक में लगाया गया था, जब यूरोप में पहली बार चॉकलेट उपलब्ध हुई थी. कहा जाता है कि इसे जर्मनी के ब्लैक फ़ॉरेस्ट में बनाया गया था, जो अपनी खट्टी चेरी और किर्शवासेर (चेरी से बनी एक ब्रांडी) के लिए जाना जाता है.
एक दूसरी कहानी ये भी है कि केक को 'ब्लैक फॉरेस्ट' इसलिए नहीं कहा जाता क्योंकि इसे वहां बनाया गया था, बल्कि इसलिए क्योंकि केक में इस्तेमाल की गई चेरी पारंपरिक जर्मन टोपियों पर लगे लाल पोम-पोम जैसी दिखती है, इसलिए इसका नाम भी ब्लैक फॉरेस्ट रखा गया था. हालांकि माना ये भी जाता है कि 'ब्लैक फॉरेस्ट' नाम अंधेरे, छायादार जंगल का प्रतीक है, जो सच भी लगता है.
कहां है ब्लैक फॉरेस्ट जंगल?
दुनिया में एक से बढ़कर एक अद्भुत जगहें मौजूद हैं, उन्हीं में से एक है ब्लैक फॉरेस्ट जंगल. ये जंगल जितना सुंदर है उतना ही रहस्यों से भी भरा हुआ है. इस जंगल में पेड़ इतने घने हैं कि सूरज की रोशनी भी जमीन तक नहीं पहुंच पाती है. बता दें कि बेहद सुंदर ये जंगल जर्मनी में स्थित है. जो समुद्र तल से लगभग 4898 फीट की ऊंचाई पर है. ये घना काला जंगल न सिर्फ जर्मनी के लोगों के लिए खास है बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी बेहद खास है. इस जंगल में जाने पर दिन में भी रात लगती है. यही वजह है कि इस जंगल को ब्लैक फॉरेस्ट नाम से जाना जाता है.
यूरोप का स्विजरलैंड
कहा जाता है कि ये जंगल इतना सुंदर है कि इसे यूरोप का स्विजरलैंड भी कहा जाता है. ऊंचे- ऊंचे पहाड़, घने जंगल, बड़े-बड़े देवदार या चीड़ के पेड़ और झील-झरने इस जंगल की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं. इस जंगल में किजिंग नदी पहाड़ एवं पेड़ों के छांव से खूबसूरती बिखरती हुई जाती है, जिसे देखने के बाद बेहद अच्छा लगता है.
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