आम जीवन में आप एडवोकेट या लॉयर शब्द कई बार सुनते हैं. लेकिन बैरिस्टर शब्द भारत में जल्दी नहीं सुनाई देता. हालांकि, फिल्मों में ये शब्द काफी सुनाई देते हैं. चलिए आज आपको इन तीनों के बीच अंतर बताते हैं. दरअसल, लॉयर, बैरिस्टर और एडवोकेट ये तीनों ही कानूनी पेशे से जुड़े होते हैं, लेकिन इनके कार्यक्षेत्र, ट्रेनिंग और अधिकारों में कुछ बड़े अंतर होते हैं.


हालांकि, ये अंतर अलग-अलग लीगल सिस्टम और देशों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. जैसे- भारत, यूके और अन्य देशों के लीगल सिस्टम में इनकी परिभाषाओं और भूमिकाओं में विभिन्नता पाई जाती है. चलिए अब इनके बीच मुख्य अंतर जानते हैं.


पहले लॉयर (Lawyer) की भूमिका समझिए


लॉयर एक व्यापक शब्द है. इसका उपयोग उन सभी व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो कानून का अध्ययन करते हैं और कानूनी पेशे में होते हैं. कोई भी व्यक्ति जिसने लॉ की पढ़ाई की हो और कानूनी क्षेत्र में काम कर रहा हो, उसे लॉयर कहा जा सकता है. आपको बता दें, लॉयर की श्रेणी में एडवोकेट, बैरिस्टर, सॉलिसिटर और लीगल कंसल्टेंट सभी आते हैं.


लॉयर के काम की बात करें तो ये कानूनी सलाह देना, मुकदमे की तैयारी करना, दस्तावेजों का मसौदा तैयार करना और कभी-कभी अदालत में प्रतिनिधित्व करना होता है. भारत जैसे देश में, लॉयर का मतलब आमतौर पर उन सभी व्यक्तियों से है जो कानूनी मामलों से संबंधित काम करते हैं, चाहे वह अदालत में हो या अदालत के बाहर.


अब बैरिस्टर (Barrister) की भूमिका समझिए


बैरिस्टर वह व्यक्ति होता है जो मुख्य रूप से अदालत में मुकदमेबाजी (litigation) और कानूनी बहस (advocacy) में एक्सपर्ट होता है. ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य देशों में, बैरिस्टर को अदालत में पेश होने और जज के सामने बहस करने का विशेष अधिकार होता है. आपको बता दें, बैरिस्टर बनने के लिए, एक व्यक्ति को विशेष ट्रेनिंग और योग्यता की आवश्यकता होती है. ब्रिटेन में, बैरिस्टर बनने के लिए "इनन्स ऑफ कोर्ट" में से किसी एक का सदस्य बनना पड़ता है और बार परीक्षा पास करनी होती है.


एडवोकेट (Advocate) के बारे में जानिए


एडवोकेट एक विशेष प्रकार का लॉयर होता है जो अदालत में किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. भारत में, एडवोकेट वह व्यक्ति होता है जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त हो और जिसे अदालत में पेश होने और मुकदमा लड़ने का अधिकार हो. एडवोकेट को कानूनी प्रक्रिया में पूरी ट्रेनिंग और एक्सपीरियंस होता है और वे सीधे अपने क्लाइंट के साथ बातचीत कर सकता है. एडवोकेट्स को भी अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे सीनियर एडवोकेट और जूनियर एडवोकेट. सीनियर एडवोकेट्स को उनके अनुभव और कानूनी क्षेत्र में किए गए बड़े कामों के आधार पर विशेष दर्जा दिया जाता है.


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