Human life Span vs Animals: इंसानों की औसत उम्र 70 से 80 साल तक होती है, लेकिन चूहे, बिल्ली, कुत्ते आदि जानवरों की मौत कुछ साल में ही हो जाती है. कुछ जीव जल्दी बूढ़े होते हैं और होकर मर जाते हैं जबकि कई जीवों पर उम्र का असर धीरे-धीरे नजर आता है. इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने स्तनपायी जीवों पर शोध किए. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कहा कि जीवों के डीएनए में उनकी उम्र का राज छिपा होता है. डीएनए में जितनी तेजी से बदलाव होगा, उस जीव की उम्र उतनी ही कम होगी. आइए इस आधार पर इंसानों और जानवरों की उम्र के बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं.
दो तरह की होती है उम्र
कोई भी जीव पैदा होने से मरने तक जितना समय जिंदा रहता है वो उसकी उम्र कहलाती है. लेकिन उम्र की यह कालानुक्रमिक परिभाषा है. उम्र की एक जैविक परिभाषा भी होती है. इसका पैमाना सेहत की गुणवत्ता के आधार पर उस जीव की उम्र बताता है. यानी अगर किसी की उम्र 20 साल है लेकिन उसकी सेहत खराब रहती है तो जाहिर है कि उसका शरीर तेजी से कमजोर हो रहा है और वो बुढ़ापे की ओर बढ़ रहा है. वैसे तो किसी जीव की जैविक उम्र को मापना इतना आसान नहीं है, लेकिन लिए फ्रेलिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसके तहत किसी व्यक्ति की बीमारियां, उसके दिन भर के कामकाज की जानकारी और उसकी समझ को परखा जाता है.
जीवों की उम्र में क्यों होता है अंतर?
अलग अलग जीवों की उम्र में अंतर को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने रिसर्च की. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह रिसर्च ब्रिटेन के वेलकम सेंगर इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है. वाज्ञानिकों ने इंसानों सहित कुत्ते, घोड़े, जिराफ, शेर, खरगोश, चूहे, बिल्ली जैसे 16 स्तनपायी जानवरों के डीएनए पर स्टडी की, जिसमें यह बातें सामने निकल कर आई हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि डीएनए में जो म्यूटेशंस होते हैं उनकी संख्या लगभग इन सभी जीवों में एक जैसी होती है. पूरी जिंदगी में इन सभी जीवों में करीब 3200 बार डीएनए का म्यूटेशंस होता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि जिस जीव में म्यूटेशन जल्दी-जल्दी होते हैं उसकी मौत उतनी जल्दी हो जाती है.
DNA में होने वाला म्यूटेशन है कारण
स्टडी में पाया गया कि एक चुहिया जो चार साल से कम जिंदा रहती है, उसके डीएनए में साल में औसतन 800 बार बदलाव होते हैं. इसी तरह कुत्तों में करीब 249, शेर में 160, जिराफ में 99 और इंसानों के डीएनए में यह बदलाव करीब 47 बार होता है. इसके अनुसार इन जीवों की औसत उम्र में अंतर नजर आता है. रिसर्च टीम के सदस्य वैज्ञानिक डॉ. एलेक्स केगन ने एक मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अगर इंसानों के डीएनए में चुहिया के डीएनए जितनी रफ्तार से बदलाव होता, तो पूरे जीवन में इंसान का डीएनए 50 हजार से ज्यादा बार म्यूटेट होता. इस रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि किसी कुत्ते की उम्र किसी इंसान से कम क्यों होती है. दरअसल, यह डीएनए में होने वाला म्यूटेशन ही है जो उम्र को कम या ज्यादा बनाता है.
डॉ कैगन ने कहा कि अलग-अलग उम्र होने के बावजूद स्तनधारियों में डीएनए का म्यूटेशन बराबर होता है, लेकिन इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है कि यह क्यों हाता है. अब वैज्ञानिक यह स्टडी 400 साल से ज्यादा जीने वाली ग्रीनलैंड शार्क जैसी मछलियों पर करेंगे. माना जाता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा जीने वाला रीढ़ वाला जीव ग्रीनलैंड शार्क है.
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