दीपावली हिंदुओं के लिए एक बड़ा त्योहार है. इस दिन लोग दीपक जलाते हैं और कुछ लोग पूरे घर को रंग बिरंगे झालरों से सजाते हैं. इसके साथ साथ इस दिन जम कर पटाखे भी फोड़े जाते हैं. हालांकि, इन पटाखों से प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि दूसरे दिन सांस के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती थी. खासकर दिल्ली के लोगों को इन पटाखों से सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली के लोग पहले से ही खराब हवा और खतरनाक प्रदूषण से जूझ रहे होते हैं, ऐसे में दीपावली के बाद यहां कि स्थिति और भी गंभीर हो जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली में पटाखों के निर्माण, उनके इस्तेमाल, बिक्री, भंडारण पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. ये प्रतिबंध दिल्ली सरकार ने लगाया है. इसी को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली के लोकसभा सांसद मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी कि दिल्ली में दीपावली के दिन पटाखे जलाने की परमिशन दी जाए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई से मना कर दिया और मनोज तिवारी से कहा, ''आप लोगों को समझाएं कि वे पटाखे ना जलाएं. यहां तक कि चुनाव के बाद विजय जुलूस के दौरान भी पटाखे नहीं फोड़ने चाहिए. जीत का जश्न मनाने के और भी कई तरीके हैं.''
दीपावली और दिल्ली का प्रदूषण
दिल्ली में दीपावली के अगले दिन AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स हमेशा से खराब रहा है. कई बार तो ये इतना खराब हो जाता है कि सामान्य इंसान को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. यहां तक कि आंखों में खुजली और रेडनेस भी सामान्य हो जाता है. चलिए अब आपको आंकड़ों के माध्यम से बताते हैं कि दिल्ली में दीपावली के अगले दिन कितना प्रदूषण होता है. साल 2021 में दीपावली के दूसरे दिल्ली का एक्यूआई 462 था. जबकि 2022 में ये 326 था. वहीं 2020 में ये 435, 2019 में 368, 2018 में 390 और 2017 में ये 407 था.
अब AQI का गणित समझिए
दरअसल, ज़ीरो से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा' माना जाता है. जबकि 51 से 100 को 'संतोषजनक' और 101 से 200 को 'मध्यम' और 201 से 300 एक्यूआई को 'खराब' की कैटेगरी में रखा गया है. वहीं अगर किसी शहर का AQI 301 से 400 के बीच है तो समझिए वहां की हवा 'बहुत खराब' हो चुकी है. जबकि, 401 से 500 को 'गंभीर' माना जाता है. यान ऐसी जगह पर रह रहे लोग सांस की बीमारी के शिकार हो सकते हैं.
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