इंसानों का नींद में खर्राटे लेना आम बात है. आपने देखा होगा कि कई लोगों के साथ ये समस्या होती है कि जब वो गहरी नींद में सोते हैं, तो वो खर्राटे लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसानों के अलावा बहुत सारे ऐसे जानवर हैं, जो सोते वक्त खर्राटे लेते हैं. जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि आखिर जानवर खर्राटे क्यों लेते हैं और उनके खर्राटे लेने के पीछे का कारण क्या है. 


खर्राटा लेना


इंसानों के लिए खर्राटा लेना अब बात हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकांश इंसान सोते वक्त खर्राटा लेते हैं. मेडिकल साइंस के मुताबिक खर्राटे तब आते हैं, जब आपके गले के पीछे स्थित ऊतक सांस लेते समय उनके ऊपर से बहने वाली हवा के कारण कंपन करते हैं. जब ऐसा होता है, तो आपके गले में घूमती हवा ऊतकों को फड़फड़ाने का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप एक कर्कश खर्राट, घुरघुराहट, घरघराहट या खड़खड़ाहट जैसी आवाज आती है.


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जानवरों का खर्राटा 


बता दें कि नींद में खर्राटे लेना इंसानों में एक आम समस्या बनता जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी-कभी पशु किसी विशिष्ट बीमारी की चपेट में आने पर भी खर्राटे लेते है. ये बीमारी गाय, भैंस, कुत्ता,बिल्ली समेत सभी पशुओं में होती है. 


पशुओं में इस बीमारी के बारे में बरेली स्थित भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान के पशुचिकित्सक डॉ. अभिजीत पावडे ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि खर्राटे लेने की बीमारी को स्नोरिंग डिसीज कहा जाता है. यह बीमारी ज्यादातर पग कुत्तों में पाई जाती है. इसके अलावा अन्य पशुओं में भी यह बीमारी होती है. लेकिन इसका कोई बुरा प्रभाव पशुओं पर नहीं पड़ता है. पशु अगर अलग या गलत तरीके से सो रहा है या उसको सांस लेने में कोई दिक्कत होती है, तो खर्राटे की समयस्या पनपनी है. वहीं अगर लंबे समय से यह बीमारी किसी पशु में होती है, तो वह किसी नज़दीकी पशुचिकित्सक को दिखा सकता है


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खर्राटा क्या 


बता दें कि सोते समय सांस के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन को ही खर्राटे बोलते हैं. वहीं पशुओं के नाक और मुंह में होने वाले रोगों से भी खर्राटे की बीमारी पनपती है. कई बार पशुओं में दूषित पानी पीने से भी खर्राटे लेने की समस्या पनपती है. दूषित पानी में लार्वा द्वारा कीटाणु पशु की नाक की चमड़ी में प्रवेश करते हैं और वहां तेजी से पनपते हैं. यह नाक में बहुत ज्यादा तादाद में अंडे देने और इन अंडों के विशिष्ट रचना की वजह से उस जगह इस रोग की शुरुआत होती हैं.


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