हर देश के पास उसकी एक सेना होती है, लेकिन उस सेना में एक ऐसा खास दस्ता होता है जो सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है... भारतीय सेना में यह गौरव पैरा एसएफ कमांडोज को प्राप्त है. इंडियन आर्मी का यह वो खास फौजी दस्ता है जो किसी भी नामुमकिन काम को आसानी से कर सकता है. आपको याद होगा 29 सितंबर 2016 की तारीख में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हुआ था और इस सर्जिकल स्ट्राइक में कई आतंकवादी मारे गए थे, इसे भी पैरा एसएफ कमांडोज ने ही अंजाम दिया था. बाद में इस पर उरी द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म भी बनी. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि एक पैरा एसएफ कमांडो बनने के लिए किस ट्रेनिंग से जवानों को गुजरना पड़ता है.
पहले जानिए कौन होते हैं पैरा एसएफ कमांडोज
भारतीय सेना में एक पैराशूट रेजिमेंट नाम की स्पेशल फोर्य यूनिट है. पैरा एसएफ कमांडोज उसी रेजिमेंट का हिस्सा होते हैं. इनका इस्तेमाल सेना स्पेशल ऑपरेशन, आतंकवाद विरोधी अभियान, गैर परंपरागत हमले, विशेष टोही मुहिम, विदेश में आंतरिक सुरक्षा और विद्रोह को कुचलने के लिए करती है. जब भारतीय सेना को बहुत बड़ा कोई अभियान करना पड़ता है, तब ही इनको याद किया जाता है.
इनकी भर्ती कैसे होती है
भारतीय सेना के पैरा एसएफ कमांडोज की बटालियन में सीधी भर्ती नहीं होती है. अगर कोई पैरा एसएफ कमांडो बनना चाहता है तो उसे पहले भारतीय सेना में भर्ती होना पड़ेगा. दरअसल, भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद ही आप पैराट्रूपर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसके साथ ही आपको पैराट्रूपर्स में भर्ती होने के लिए अपने कमांडिंग ऑफिसर का रिकमेंडेशन लेटर भी प्राप्त करना होता है. इस वक्त भारतीय सेना में पैरा एसएफ कमांडोज की कुल 9 बटालियन्स हैं.
क्या ये 36 घंटे तक बिना सोये बिना कुछ खाये-पिये रह सकते हैं
पैरा एसएफ कमांडोज बनने के लिए बेहद कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. 90 दिनों तक चलने वाले इस प्रोबेशन ट्रेनिंग को सब पूरा नहीं कर पाते हैं. आप जानकर हैरान होंगे कि इस ट्रेनिंग को 80 फीसदी जवान बीच में ही छोड़ देते हैं. जबकि अंतिम में सिर्फ 2 प्रतिशत जवान ही पैराएसएफ कमांजोड के लिए सिलेक्ट होते हैं. सबसे बड़ी बात की इस ट्रेनिंग के दौरान कई बार इन जवानों को 36 घंटे तक कुछ भी खाने पीने को नहीं दिया जाता है और वो इन 36 घंटों में एक मिनट की नींद भी नहीं लेते हैं. सोचिए क्या एक आम इंसान ऐसा कभी कर पाएगा.
कांच क्यों खिलाया जाता है पैरा एसएफ कमांडोज को
पैरा एसएफ कमांडोज जब 90 दिन की अपनी कठिन ट्रेनिंग पूरी कर लेते हैं तो आम इंसान नहीं रह जाते हैं. यही अहसास दिलाने के लिए उन्हें कांच खिलाया जाता है. दरअसल, ये एक परंपरा है जो बताती है कि पैरा एसएफ कमांडोज आम इंसान नहीं है. इस परंपरा में होता ये है कि जब जवानों की ट्रेनिंग पूरी हो जाती है तो उन्हें रम का एक पटियाला पैग दिया जाता है, जिसे उन्हें खत्म करना होता है. ये पटियाला पैग तभी खत्म माना जाता है, जब तक कि जवान पूरी शराब पीने के बाद कांच के ग्लास को दांतों से काट कर उसका एक टुकड़ा निगल नहीं लेता.
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