क्या यहूदी इलाज के लिए भी नहीं लेते किसी का खून? जानिए इसके पीछे की कहानी
पुराने यहूदियों के बारे में कहा जाता था कि वो किसी का भी खून लेने से मना कर देते थे. चाहे वो कितने भी बीमार क्यों ना हों, वो किसी और इंसान का खून अपने शरीर में चढ़ाने के बिल्कुल खिलाफ थे.
इजरायल और हमास का युद्ध बीते 7 अक्टूबर से ही जारी है. इस दौरान दोनों ओर से कई लोग मारे गए और उन्हें गंभीर चोटे भी आई हैं. इजरायल ने अब खुले तौर पर युद्ध का ऐलान कर दिया है और जम कर गाजा पट्टी पर बम बरसा रहा है. हालांकि, उधर से हमास भी हमले कर रहा है और इसमें कुछ इजराइली सैनिक घायल भी हो रहे हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक चीज वायरल हो रही है कि यहूदी लोग अपने इलाज के लिए भी किसी का खून नहीं लेते. चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है और अगर ये सच है तो इसके पीछे की कहानी क्या है.
क्या है खून से जुड़ी कहानी
यहूदी जो भी करते हैं या जिसमें भी विश्वास रखते हैं वो सब उनके पवित्र ग्रंथ तोरा में लिखा है. हालांकि, बदलते समय के साथ हर समाज में और नियमों बदलाव देखे जा रहे हैं. पुराने यहूदियों के बारे में कहा जाता था कि वो किसी का भी खून लेने से मना कर देते थे. चाहे वो कितने भी बीमार क्यों ना हों, वो किसी और इंसान का खून अपने शरीर में चढ़ाने के बिल्कुल खिलाफ थे. ऐसा इसलिए था क्योंकि यहूदी खून को जीवन से जोड़ कर देखते हैं, और उनका मानना था कि वह किसी और का जीवन लेकर नहीं जी सकते. हालांकि, अब धीरे धीरे ये बदल रहा है. आज जिन भी मरीजों को ब्लड की जरूरत होती है वो इसे अपनी बॉडी में चढ़वाते हैं.
दवाईयों और आधुनिक इलाज को लेकर क्या करते हैं
सोशल मीडिया पर आपको कई जगह ये पढ़ने को मिल जाएगा कि जितने भी आध्यात्मिक यहूदी होते हैं वो सिर्फ अपने ईश्वर की शक्ति में विश्वास रखते हैं. यहां तक कि जब वो बीमार पड़ते हैं तब भी उनका यही विश्वास रहता है कि उन्हें सिर्फ प्रार्थना के जरिए ठीक किया जा सकता है. यानी वो आधुनिक चिकित्सा पद्धति और दवाईयों का इस्तेमाल नहीं करते. हालांकि, ऐसा नहीं है. आज के यहूदी आधुनिक चिकित्सा पद्धति का ना सिर्फ इस्तेमाल करते हैं बल्कि इसे बढ़ाने में और इस हाइटेक बनाने के लिए काम भी करते हैं.
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