Railway: भारतीय रेलवे हर वर्ग के लोगों को सर्विस देता है. आपने देखा होगा कि एक ट्रेन में भी जनरल से लेकर स्लीपर और एसी कोच होते हैं. आप अपने बजट और कंफर्ट के आधार पर अलग अलग कोच के जरिए यात्रा कर सकते हैं. मगर जितना आप कंफर्ट का ज्यादा मजा लेते हैं, उतना ही आपको किराया भी ज्यादा देना होता है, जैसे एसी कोच में यात्रा करने के लिए ज्यादा किराया लगता है. एसी में भी कई तरह के कोच होते हैं, जिसमें थर्ड एसी, सेकेंड एसी या फर्स्ट एसी शामिल है. फर्स्ट एसी तो पर्सनल कैबिन आदि की फैसेलिटी की वजह से काफी महंगा होता है.
लेकिन, सेकेंड एसी और थर्ड एसी तो एक जैसे ही होते हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर थर्ड एसी और सेकेंड एसी के कोच में क्या अंतर होता है और किस कारण से दोनों कोच के किराए में काफी अंतर रहता है. तो जानते हैं उ वजहों के बारे में, जिसकी वजह से दोनों का किराया काफी अलग अलग होता है और सेकेंड एसी का ज्यादा होता है.
थर्ड एसी से कितना अलग है सेकेंड एसी?
अगर आपने दोनों क्लास के कोच में यात्रा नहीं की है तो आपको बता दें कि सेकेंड एसी, लग्जरी के मामले में थर्ड एसी से एक कदम ऊपर होता है और इसका किराया भी थर्ड एसी से ज्यादा होता है. यह बात तो तय है कि जब आप ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं तो आपको ज्यादा कंफर्ट भी मिलेगा. दरअसल, इस कोच की बर्थ में आमने सामने 2-2 ही सीट होती है. जैसे आपने देखा होगा कि स्लीपर में आमने-सामने 3-3 सीट होती हैं और साइड बर्थ में दो सीट होती है. लेकिन, सेकेंड एसी में एक अपर बर्थ और एक लॉअर बर्थ होती है. इसमें मिडिल बर्थ नहीं होती है.
एक कोच में ज्यादा सीट ना होने की वजह से वहां लोग भी काफी कम रहते हैं और भीड़-भाड़ काफी कम रहती है. ऐसे में आपकी यात्रा आरामदायक रहती है. ज्यादा लोग होने की वजह से चहल-पहल ज्यादा रहती है, टॉयलेट्स में वेटिंग ज्यादा रहती है. ऐसे में लोग ज्यादा आराम के लिए सेकेंड एसी का चयन करते हैं. इसके अलावा सेकेंड एसी की सीट भी थर्ड एसी से अलग होती है, जिसमें सीट की क्वालिटी से लेकर सीट की साइज दोनों अलग-अलग होती है. इसलिए भी सेकेंड एसी का किराया ज्यादा होता है. हालांकि, इसमें थर्ड एसी की तरह कोई केबिन नहीं होता है और ना ही कोई पर्दा होता है. इसके अलावा अलग से रीडिंग लाइट्स होती है, जो अब कुछ ट्रेन में अब थर्ड एसी में भी सुविधा मिलने लगी है.
थर्ड एसी कोच
वहीं, थर्ड एसी में कोच तो स्लीपर जैसा ही होता है, लेकिन इसमें सिर्फ एसी होता है. सीटों की संख्या भी स्लीपर जितनी ही होती है. ऐसे ही कुछ ट्रेन में एसी इकोनॉमी के कोच भी होते हैं, जो थर्ड एसी से एक रेंज नीचे होते हैं, जहां एक कोच में ज्यादा सीट होती है. इससे कोच में भीड़ बढ़ जाती है और इसका किराया थर्ड एसी से भी कम होता है. यह थर्ड एसी से कम कंफर्टेबल मानी जाती है.
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