Shooting Star Wish: आपने देखा होगा कि कई बार आसमान में टूटता हुआ तारा नजर आता है. अलग-अलग देशों में इसे लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है. हालांकि, लगभग हर संस्कृति में टूटता तारा शुभ माना जाता है. इसको देखकर विश यानी इच्छा मांगने का चलन है. कहा जाता है कि इस समय मांगी हुई कोई भी इच्छा पूरी हो जाती है. मगर क्या सच में ऐसा होता है? आइये जानते है इसके पीछे का असली विज्ञान.


टूटता तारा असल में नहीं होता कोई तारा


आसमान में टिमटिमाते तारे आकार में बहुत छोटे नजर आते है. मगर असल में वो आकार में धरती से बहुत बड़े होते हैं. उनका धरती पर गिरना भयावह हो सकता है. हम जिसे टूटता हुआ तारा कहते हैं वो उल्का होते(Meteoroid) हैं. अंतरिक्ष में लाखों उल्कापिंड घूमते रहते हैं. कभी-कभी ये धरती के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं. वायुमंडल में प्रवेश करते ही ये तेजी से नीचे गिरते हैं. घर्षण के कारण इनमें आग लग जाती है जिसकी वजह से ये चमक उठते हैं.


इस वजह से टूटता हुआ उल्का, टूटते हुए तारे जैसा दिखता है. ज्यादातर उल्का ऊपरी सतह में जलकर खत्म हो जाते हैं. बहुत कम संख्या में ही उल्का धरती की सतह पर पहुंच पाते है. उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते है. कई हजार साल पहले एक उल्कापिंड ने ही धरती से डायनासोर का नामोनिशान मिटा दिया था. 


टूटता तारा इच्छा पूरी करता है?


आज हम जानते हैं कि टूटता तारा असल में कोई तारा नहीं होता है. मगर प्राचीन समय में लोगों के लिए यह कौतूहल का विषय था. कुछ संस्कृति में इनको धर्म से जोड़ा गया है. लोगों की नजर में ये एक दैवीय घटना थी. इस वजह से उस समय के लोग इसे देखकर मनचाही इच्छा मांगते थे. वहीं से ये मान्यता चली आ रही है. वैसे तो वायुमंडल में उल्का का प्रवेश करना आम बात होती है. मगर उस गिरते हुए उल्का यानी टूटते तारे को देखना एक दुर्लभ घटना है. क्योंकि, ये बहुत थोड़े समय के लिए ही दिखाई देते हैं. इसलिए, इसे देखना लकी या भाग्यशाली माना जाता है. अगर इच्छा पूरी होने की बात करें, तो टूटता हुआ अंतरिक्ष का पत्थर इच्छा पूरी करने की क्षमता नहीं रखता है.