राजस्थान में नए मुख्यमंत्री की घोषणा हो चुकी है. लेकिन राज्य में दो उप मुख्यमंत्री यानी डिप्टी सीएम पदों के नामों का भी ऐलान हुआ. भजनलाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री और दीया कुमारी एवं प्रेम चंद बैरवा राजस्थान के डिप्टी सीएम होंगे. बता दें कि हाल ही में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी दो-दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. आज हम बताएंगे कि राज्य की सियासत में डिप्टी सीएम का दर्जा और काम क्या होता है और क्या डिप्टी सीएम बनने से राज्य के मुख्यमंत्री के अधिकरों में कमी आती है.
संविधान में ऐसा कोई पद नहीं
भारतीय संविधान में डिप्टी मुख्यमंत्री जैसा कोई संवैधानिक पद नहीं है. उदाहरण के लिए समझते है कि जैसे उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और काम का जिक्र संविधान में किया गया है. उस तरह संविधान में किसी भी राज्य के लिए डिप्टी सीएम पद का कोई उल्लेख नहीं है. यह एक तरह की राजनीतिक व्यवस्था होती है. ताकि राजनीतिक पार्टियां उस राज्य में सभी धर्मों और जाति के लोगों को खुश कर सके. बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री की तरह डिप्टी सीएम के पास कोई विशिष्ट वित्तीय या प्रशासनिक शक्तियां नहीं होती है.
मुख्यमंत्री के अधिकारों में कमी
संविधान में डिप्टी सीएम जैसा कोई पद नहीं है, इसलिए राज्य के मुख्यमंत्री के अधिकारों और कार्य करने के तरीके में किसी तरह की कोई कमी नहीं आती है. इतना ही नहीं किसी भी विभाग की कोई भी फाइल डिप्टी सीएम से होते हुए मुख्यमंत्री तक नहीं जाती है. साफ शब्दों में कहे तो डिप्टी सीएम का पद प्रतीकात्मक पद होता है.
क्या मिलता है भत्ता ?
इसी तरह से रैंक और भत्तों के मामले में डिप्टी सीएम कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. इतना ही नहीं शपथ लेते समय भी कोई नेता डिप्टी सीएम पद की तरह शपथ नहीं ले सकता है. उन्हें मंत्री के तौर पर शपथ लेनी होती है. इसके अलावा डिप्टी सीएम केवल वही विभाग देख सकते हैं, जो कैबिनेट में उन्हें सौंपा जाता है.
सरकार क्यों बनाती है उप-मुख्यमंत्री?
मुख्यमंत्री राज्य में एक से ज्यादा उप-मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकता है. एक राज्य में कितने उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं, इसकी कोई तय सीमा नहीं है. बता दें कि सहयोगी दलों के मंत्री या किसी जाति विशेष के नेता को उपमुख्यमंत्री पद देने से गठबंधन सरकार और राज्य में राजनीतिक स्थिरता और मजबूती आती है.
डिप्टी सीएम का पावर
बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री की तरह डिप्टी सीएम के पास कोई विशिष्ट वित्तीय या प्रशासनिक शक्तियां नहीं होती है. उनकी नियुक्ति राज्य का मुख्यमंत्री करता है. डिप्टी सीएम का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता है. राजनीतिक समीकरण बदलने पर मुख्यमंत्री किसी भी समय डिप्टी सीएम बदल सकता है या उन्हें हटाया भी सकता है.