इंसानों की कई बार आदत होती है कि कपड़ा सूखकर आने के बाद उसे सूंघते हैं. अधिकांश घरों में भी पार्टनर एक दूसरे के कपड़े को सूंघते हैं. इस आदत को हम बहुत सामान्य आदत समझते हैं, लेकिन ये सामान्य आदत नहीं है. आज हम आपको बताएंगे कि अधिकांश लोग क्यों अपने पार्टनर का कपड़ा सूंघते हैं और इसके पीछे की वजह क्या है. 


कपड़ा सूंघना


घरों में अधिकांश लोग अपना या पार्टनर का कपड़ा सूंघते हैं. कपड़ा धुलाकर आने के बाद भी कई बार लोग कपड़ा सूंघकर ये जानने की कोशिश करते हैं कि वो अच्छे से सूंघ चुका है ना, कहीं उसमें कोई बदबू तो नहीं आ रही है. कई बार ये भी देखा जाता है कि शॉपिंग के दौरान नया कपड़ा खरीदने पर भी कुछ लोग उस कपड़े को संघूते हैं. कपड़ा सूंघने को लेकर इंसानों की अलग-अलग आदत देखी गई है. लेकिन शोध के मुताबिक जब एक महिला अपने पार्टनर का शर्ट या कपड़ा सूंघती है, तो उससे उसका तनाव भी कम होता है.  


क्या कहता है रिसर्च


कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की ग्रेजुएट छात्रा और शोध की प्रमुख लेखक मार्लिस होफर ने बताया कि कई लोग अपने साथी की शर्ट पहनते हैं. वहीं जब साथी दूर होता है तो वे बिस्तर के उस तरफ सोते हैं, जिधर उनका साथी सोता है. लेकिन वे इस व्यवहार का कारण महसूस नहीं करते हैं कि क्यों वे ऐसा करते हैं. शोध से पता चलता है कि महिलाएं तब आराम महसूस करती हैं, जब वे अपने पुरुष साथी की गंध को सूंघती हैं. मार्लिस होफर ने बताया कि शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि जब साथी साथ नहीं होता है, उस दौरान उसकी गंध तनाव घटाने में एक शक्तिशाली उपकरण साबित होता है. 


गंध से तनाव बढ़ता


रिसर्च के मुताबिक कई बार ऐसा भी होता है कि कोई अजनबी गंध विपरीत काम करती है. इस दौरान अजनबी गंध से तनाव वाले हार्मोन-कॉर्टिसोल के स्तर बढ़ जाते हैं. माना जाता है कि ऐसा विकासवादी कारकों के कारण होता है. रिसर्च के मुताबिक कम उम्र से ही मनुष्यों में अजनबियों का डर होता है.  खासतौर से महिलाओं को अजनबी पुरुषों का डर होता है. इसलिए यह संभव है कि अजनबी पुरुष की गंध 'लड़ो या भागो' प्रतिक्रिया को प्रेरित करती है, जिससे कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है. शरीर के अंदर ये बदलाव बिना हमारी जानकारी के होता है.


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