(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Smoke Paan: क्या आपको भी पसंद है स्मोक पान, जिससे बच्चे के हो गया पेट में छेद? इसमें होते हैं खतरनाक आइटम
भारत में पान खाने का क्रेज बहुत ज्यादा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्मोक पान कैसा होता है और इसमें धुंआ निकालने के लिए किस गैस का इस्तेमाल किया जाता है? जानिए ये गैस शरीर के लिए कितना नुकसानदायक.
खाइके पान बनारस वाला... शायद ही ऐसा कोई होगा जो सुपरस्टार अभिताभ बच्चन के फिल्म डॉन का ये गाना नहीं सुना होगा. भारत में पान खाने का बहुत क्रेज है. देश के कई राज्य और शहर तो सिर्फ पान के लिए मशहूर हैं. कुछ लोग मीठा पान और कुछ लोग जर्दा वाला पाना खाना पसंद करते हैं. इसका इतिहास भी दशकों पुराना है. लेकिन अब धीरे-धीरे खान-पान में भी आधुनिकता अपनी जगह ले चुकी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण चॉकलेट पान, आइसक्रीम पान, फायर पान, स्मोक है. लेकिन आज हम आपको स्मोक पान के बारे में बताएंगे. आखिर इस पान में ऐसा क्या मिलाया जाता है, जिसके कारण लोग जलते हुए आग और धुंए वाला पान खाते हैं.
पान
भारत का उत्तर प्रदेश राज्य खासकर पान खाने और पानी की खेती के लिए जाना जाता है. इसके अलावा बिहार, मध्य-प्रदेश, दिल्ली समेत भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जहां पर पान खाने के शौकीन लोग हैं. लेकिन खान-पान में आधुनिकता ने उन खाद्य पदार्थों की वास्तविकता को खत्म कर दिया है. इसके बहुत सारे उदाहरण हैं. जैसे समोसा में आलू की जगह नूडल्स डालकर उसे चाइनीज समोसा बनाया जा रहा है. गोलगप्पे में पानी की जगह मैगी डाला जा रहा है. बन मक्खन में मक्खन की जगह लालू की टिक्की डालकर बेचा जा रहा है. खाने के सामान को लेकर ऐसे बहुत सारे प्रयोग हो रहे हैं. इनमें से कुछ प्रयोग जनता को खूब पसंद भी आ रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या शरीर हर तरह के खान-पान को झेलने के लिए तैयार है? ताजा मामला बेंगलुरु का है, जहां पर एक बारह साल की बच्ची ने स्मोक पान उसके पेट में छेद हो गया था.
स्मोक पान में कौन सा केमिकल/गैस?
स्मोक पान में लिक्विड नाइट्रोजन गैस पाया जाता है. सबसे पहले ये समझते हैं कि नाइट्रोजन गैस क्या है. बता दें कि ऑक्सीजन की तरह ही वायुमंडल में भरपूर मात्रा में नाइट्रोजन मौजूद है, ये एक रंगहीन और स्वादहीन गैस है. साइंस में इसका सिंबल N2 होता है. अब आपको बताएंगे कि लिक्विड नाइट्रोजन गैस क्या होता है. बता दें कि नाइट्रोजन का तापमान जब -195.8 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है, तब यह तरल रूप या लिक्विड में कन्वर्ट हो जाता है. पृथ्वी पर इतना तापमान कभी कम नहीं होता है, इसलिए इसको आर्टिफिशियल तरीके से लिक्विड में कन्वर्ट किया जाता है. आज के वक्त लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल मेडिकल साइंस से लेकर ऑटोमोबाइल और इंजीनियरिंग समेत कई जगहों पर हो रहा है.
खान-पान में इस गैस का इस्तेमाल
बीबीसी मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले शेफ हेस्टन ब्लूमेंथल ने अपने रेस्टोरेंट ‘द फैट डक’ के मेन्यू में लिक्विड नाइट्रोजन वाली चीजों को शामिल किया था. जैसे- नाइट्रो स्क्रैंबल्ड एग और आइसक्रीम. इसके बाद फिर कई रेस्तरां ने इसे यूज करना शुरू कर दिया था. हालांकि एक्सपर्ट के मुताबिक नाइट्रोजन गैस शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती है. लेकिन जब ये गैस लिक्विड में कन्वर्ट होता है, उस समय इसका तापमान बहुत कम हो जाता है. बहुत अधिक ठंडा होने के कारण अगर इसका इस्तेमाल अच्छे तरीके से नहीं किया जाएगा, तो ये शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.
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