गर्मी के दिनों में हाईवे या सड़क पर दूर पानी दिखता है. लेकिन जब आप उस दूरी पर पहुंचते हैं, उसके बाद आपको वहां पर पानी नहीं मिलता है. क्या सफर के दौरान आपने भी ये अनुभव किया है? क्या आप जानते हैं कि सड़क या रेगिस्तान में दूर पानी क्यों दिखता है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 


सड़क पर क्यों दिखता पानी


गर्मी के दिनों में जब आप सड़क पर निकलते हैं, तो आपको दूर सड़क पर पानी दिखने का भ्रम होता है. लेकिन जब आप उस जगह पर पहुंचते हैं, तो आपको वहां पर पानी नहीं मिलता है. सफर के दौरान जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, आपको भ्रम होता है कि आगे सड़क पर पानी मौजूद है. बता दें कि ऐसी स्थिति को मृग तृष्णा या कुछ लोग मृग मरीचका भी कहते हैं. 


गर्मियों में क्यों दिखता पानी 


बता दें कि गर्मियों के मौसम में तापमान बहुत ज्यादा होता है. सूरज की रोशनी सड़कों पर जब पड़ती है, तो पानी दिखने का एहसास होता है. जबकि पानी असल में होता नहीं यह बस नजरों का भ्रम होता है. बता दें मृगमरीचिका बनने का कारण इंटरनल रिफ्लेक्शन होता है. क्योंकि जब सूरज की रोशनी अलग-अलग टेंपरेचर वाली हवा के बीच से गुजरती है, तो सड़क के ज्यादा टेंपरेचर के चलते रोशनी हवा की वजह से रिफ्लेक्ट होती है. आसान भाषा में कहें तो सड़क का तापमान ज्यादा होता है और उसके ऊपर का तापमान कम होता है. तापमान में होने वाले इस बदलाव के कारण मृगमरीचिका दिखाई देती है. 


मृग मरीचिका शब्द कहां से आया?


अब सवाल ये है कि दूर पानी दिखने को मृग मरीचिका ही क्यों कहते हैं. बता दें कि ये शब्द राजस्थान से आया है. दरअसल राजस्थान रेगिस्तानी इलाका है. ऐसी स्थिति में जब रेगिस्तान में गर्मी के दौरान हिरण को प्यास लगती है. तो रेगिस्तान में पानी की तलाश में भटकता रहता है. इतना ही नहीं हिरण को सूर्य की रोशनी के कारण उसे चमकीला रेत पानी की तरह नजर आता है. जिसके कारण वो बार उस चमकीले रेत के पास जाता है, जब हिरण चमकीले रेत के पास पहुंचता है, तो उसे वहां पानी नहीं मिलता है. इसके विपरीत हिरण को फिर दूर पानी नजर आता है, जिसके बाद हिरण फिर से उस जगह पर जाता है, जहां उसे पानी दिखने का भ्रम होता है. प्यासा हिरण इसी तरीके से गर्मी में तापमान में लंबी दूरी का सफर तय करता है. वहीं हिरण को संस्कृत में मृग कहते हैं और मरीचिका को दृष्टि भ्रम कहा जाता है. इसी कारण इसे मृग मरीचिका कहते हैं. 


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