आज के दौर में आप को आपके कद से नहीं बल्कि आपके काम से आंका जाता है. हालांकि, इसके बावजूद भी कई लोग अपने कद को लेकर कॉम्पलेक्स में रहते हैं. दरअसल, इसके पीछे शायद छोटे कद वालों के साथ बचपन में हुआ व्यवहार होता है. कई बार आपने देखा होगा कि जिन बच्चों का कद छोटा होता है उन्हें बचपन में ही लोग और उनके साथ के बच्चे चिढ़ाना शुरु कर देते हैं. कोई उन्हें छोटू कहता है तो कोई टिंगू. उनको नाटे, बटला जैसे अलग-अलग नाम दे दिए जाते हैं. यही वजह है कि आज हर आदमी चाहता है कि उसका कद लंबा हो और कम से कम वो औसत लंबाई का तो हो ही. हालांकि, क्या आपको बता है कि हर सुबह आपका कद पहले दिन के मुकाबले थोड़ा सा बढ़ा हुआ होता है, चलिए जानते हैं ऐसा कैसे होता है.
कैसे सुबह बढ़ जाता है
कई लोग हैं इस दुनिया में जो चाहते हैं कि उनकी लंबाई रातों रात बढ़ जाए. लेकिन क्या ऐसा संभव है? शायद हां! लेकिन यह महज कुछ ही देर के लिए होता है. दरअसल, जमैका हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर द्वारा किए एक रिसर्च के अनुसार, अगर हम सुबह सुबह जाग कर अपना कद नापें, तो वह दिन भर से ज्यादा लम्बा होता है. इसके पीछे का कारण गुरुत्वाकर्षण को बताया जाता है. दरअसल, गुरुत्वाकर्षण की वजह से हमारी रीढ़ और हमारे शरीर के अन्य हिस्सों में मौजूद कार्टिलेज संकुचित हो जाते हैं. ख़ासकर हमारे घुटने में ये सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि हम पूरे दिन खड़े रहते हैं या बैठते हैं. वहीं जब हम आराम की स्थिति में लेटे होते हैं, तो हमारी रीढ़ फैली हुई होती है इसे आप अंग्रेजी में कह सकते हैं कि डीकंप्रेस हो जाती है, इसलिए जब हम सुबह उठते हैं तो रात भर बिस्तर पर लेटे रहने के बाद हम वास्तव में लम्बे होते हैं.
अंतरिक्ष में भी इंसान होता है लंबा
अंतरिक्ष का माहौल पृथ्वी के माहौल से बहुत अलग होता है. वहां गुरुत्वाकर्षण बल की कमी होती है, जिसकी वजह से इंसानी शरीर पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. यही वजह है कि बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी पर आने वाले अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर अपनी सामान्य ऊंचाई से कुछ इंच लंबे होते हैं. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है. दरअसल, पृथ्वी के वायुमंडल से दूर उनकी रीढ़ पर गुरुत्वाकर्षण बल की कमी होती है इसकी वजह से वह लंबे लगते हैं. हालांकि, जब वो लोग फिर से पृथ्वी पर आते हैं तो गुरुत्वाकर्षण धीरे-धीरे उन्हें उनकी सामान्य ऊंचाई देता है.
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