आपने दुनिया में एक से बढ़कर एक खतरनाक जगहों के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या आपने मौत की घाटी के बारे में सुना है. भारत जैसे देश में जब तापमान 40 डिग्री के पार पहुंचता है तो लोगों की गर्मी से बुरी हालत होने लगती है. लेकिन मौत की घाटी में इससे कहीं ज्यादा टेंपरेचर होता है और वहां लोग आज भी रहते हैं. आज हम आपको उसी मौत की घाटी से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे और यह भी बताएंगे कि इसे दुनिया का सबसे गर्म स्थान क्यों कहा जाता है.


कहां है मौत की घाटी


हिंदी में इसे मौत की घाटी और अंग्रेजी में डेथ वैली कहा जाता है. यह अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित है. डेथ वैली में भी एक इलाका फर्नेस क्रीक है जहां का तापमान सबसे ज्यादा गर्म होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1913 में यहां सबसे ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया था, जो 56.7 डिग्री सेल्सियस था. वहीं अगस्त 2020 में डेथ वैली में 54 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच गया था.


पसीना भी भाप बन के उड़ जाए


मौत की घाटी में इतनी ज्यादा झुलसा देने वाली गर्मी पड़ती है कि यहां अगर आपको पसीना भी हो तो अपने  आप भाप बन के उड़ जाए. आप जैसे ही इस मौत की घाटी के नजदीक पहुंचेंगे यहां आपको जगह जगह पर बोर्ड लगे मिलेंगे, जिन पर चेतावनी लिखी होगी कि सुबह 10 बजे के बाद इस मैदानी इलाके में निकलने से बचें. यहां काम करने वाले और रहने वाले लोग बताते हैं कि तापमान इतना ज्यादा होता है कि आप गर्मी में अपने शरीर से निकलने वाला पसीना भी महसूस नहीं कर पाते, क्योंकि वह शरीर पर टिकता ही नहीं. जैसे ही शरीर से पानी पसीने के रूप में निकलता है वह भाप बनकर उड़ जाता है.


अपने आप खिसकते हैं पत्थर


इस जगह पर एक और रहस्यमई घटना घटती है, जिसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है. यहां पत्थर जमीन पर अपने आप खिसकते हैं. यानी अगर आपने किसी लगभग 100, 200 किलो के पत्थर को एक जगह देखा है तो दूसरे दिन जब आप वहां पहुंचेंगे तो वह पत्थर कहीं और ही खिसका हुआ मिलेगा. इस पर कई रिसर्च हुए, लेकिन यह मिस्ट्री आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्यमई पहेली बनी हुई है. सबसे बड़ी बात कि आज तक किसी ने भी व्यक्तिगत रूप से इन पत्थरों को अपनी जगह से खिसकते हुए नहीं देखा. लेकिन पत्थरों के खिसकने से बना निशान यहां हर रोज दिखाई देता है, जिससे यह मालूम चल जाता है कि यह पत्थर अपने आप या किसी भी तरह से एक जगह से दूसरी जगह तक खिसके हैं.


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