साल 2023 अलविदा कहने को है. 2023 के 12वें और आखिरी महीने दिसंबर की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने के बाद फिर नए साल का आगाज होगा और जनवरी से साल की शुरुआत होगी. ये तो आप जानते हैं कि साल का आखिरी महीना दिसंबर और पहला महीना जनवरी होता है, लेकिन ये पहले नहीं होता था. पहले दिसंबर साल के 10वें नंबर पर आता था और जनवरी साल का पहला महीना नहीं था. तो जानते हैं आखिर पहले साल के महीनों की क्या व्यवस्था और उसमें क्या बदलाव किया गया. 


पहले कैसे होता था साल?


कई सदियों पहले साल की शुरुआत जनवरी से नहीं, बल्कि मार्च से होती थी यानी साल का पहला महीना मार्च था. इसके बाद सभी महीने अभी के क्रम के हिसाब से थे और दिसंबर आखिरी महीना था. पहले साल में सिर्फ 10 महीने ही हुआ करते थे और ये महीने मार्च से दिसंबर के बीच थे. इस वजह से दिसंबर का नंबर दसवें स्थान पर था. अगर आप इनके नाम से भी अंदाजा लगाएंगे तो आपको समझ जाएगा कि पहले दिसंबर दसवें नंबर था. ऐसे ही नवंबर 9वें स्थान पर, अक्टूबर 8वें नंबर पर, सितंबर 7वें नंबर पर आता था. हालांकि, अब इनका क्रम दो नंबर आगे बढ़ गया. 


कौनसे दो महीने जोड़े गए?


नए कैलेंडर की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई और रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में जरूरी बदलाव किए. इस बदलाव के बाद कैलेंडर में जनवरी महीना शामिल हुआ. इसे सबसे पहले नंबर पर जोड़ा गया और 365 दिन के एडजस्टमेंट के हिसाब से फरवरी को आखिरी में जोड़ा गया. ये ही वजह है कि फरवरी में 28 दिन ही होते हैं. ये भी कहा जाता है कि उस समय एक साल में 310 दिन ही माने जाते थे.


ये भी कहा जाता है कि पहले 310 दिन के हिसाब से साल माना जा रहा था, लेकिन जब रोमन शासक जूलियस सीजर को जानकारों से पता चला कि साल में 365 दिन होते हैं तो उसे ध्यान में रखकर साल में 12 महीने किए गए. इसके बाद जनवरी और फरवरी को जोड़ा गया था. ऐसे में कहा जा सकता है कि पहले कैलेंडर में जनवरी और फरवरी नहीं थे और उन्हें बाद में जोड़ा गया था. आज भी कई धार्मिक और अलग अलग संप्रदायों के कैलेंडर मार्च में ही शुरू होते हैं. 


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