भारत में कौन से लोग नहीं कर सकते हैं हड़ताल, प्रदर्शन में भी शामिल होने की इजाजत नहीं
दिल्ली सहित देशभर में आज रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. देश में सभी सरकारी, ओपीडी, सर्जरी और लैब के कामों का जिम्मा रेजिडेंट डॉक्टरों का ही होता है.
पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या हो गई, जिसके विरोध में आज देशभर में रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टर्स के देशव्यापी संगठन फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ने रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने देश के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने हड़ताल का ऐलान किया है. आए दिन देश में किसी न किसी वजह से हड़ताल हो जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में वो कौन से लोग हैं जो हड़ताल नहीं कर सकते? चलिए जानते हैं.
किसे नहीं होती हड़ताल की इजाजत?
अधिकांश न्यायक्षेत्रों में पुलिसकर्मी या अधिकारी, फौज, अग्निशनमकर्मी, और पैरामेडिक्स को हड़ताल करने पर प्रतिबंध है. इसके अलावा सरकारी कर्मचारी भी अपने काम को पूरी तरह छोड़कर हड़ताल पर नहीं जा सकते.
क्या होता है हड़ताल का उद्देश्य?
हड़ताल उन कर्मचारियों की रक्षा करती हैं जो वैध उद्देश्य के लिए वैध तरीकों का उपयोग करके हड़ताल करते हैं. इसका मतलब ये है कि नियोक्ता हड़ताल में वैध तरीके से भाग लेने वाले कर्मचारियों के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं, न ही वे उनके खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं. नियोक्ता प्रतिस्थापन को काम पर रख सकते हैं, लेकिन वे हड़ताली कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाल सकते हैं.
सरकारी कर्मचारियों की हड़तालें
स्थानीय, राज्य और संघीय स्तर पर सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार सीमित किया जा सकता है या उन्हें हड़ताल पर जाने से पूरी तरह रोका जा सकता है. सरकारी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल पर रोक लगाने वाले राज्य कानून अक्सर उन कर्मचारियों पर लागू होते हैं जिनकी नौकरी इतनी जरूरी मानी जाती है कि उसमें काम बंद होने का जोखिम नहीं लिया जा सकता.
अधिकांश न्यायक्षेत्रों में पुलिस अधिकारियों, अग्निशमन कर्मियों और पैरामेडिक्स को हड़ताल करने पर प्रतिबन्ध है. इसके अलावा कई राज्यों ने पब्लिक स्कूल के शिक्षकों और अन्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल करने पर भी प्रतिबन्ध लगा हुआ है.
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