क्या सुसाइड नोट में नाम होने से सजा मिलना तय? जान लीजिए यह कानून तो आसान हो सकती है दिक्कत
कई केसों में व्यक्ति सुसाइड नोट पर किसी व्यक्ति का नाम लिखकर सुसाइड कर लेता है. ऐसे मामलों में क्या कहता है कानून चलिए जान लेते हैं.
यदि किसी व्यक्ति द्वारा सुसाइड नोट पर किसी अन्य व्यक्ति का नाम लिखकर खुदखुशी कर ली जाती है तो जिसका नाम लिखा जाता है वो परेेशान हो जाता है. ऐसे में सवाल ये ही उठता हैै कि क्या सुसाइड नोट पर नाम होने से सजा मिलना तय होता है. तो चलिए जानते हैं कि कानून क्या कहता है.
क्या कहता है कानून?
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में खुदकुशी के एक मामले में सुसाइट नोट पर नाम का उल्लेख होने के बिंदु पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि किसी व्यक्ति के नाम का उल्लेख मात्र आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के लिए मुकदमा चलाने या सजा का सामना करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है. अदालत ने कहा है कि आरोपी के आरोप को प्रत्येक मामले की परिस्थितियों के तहत देखा जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा-306 के तहत आरोपी और आत्महत्या करने वाले मृतक के कृत्यों के बीच किसी कारण से कोई संबंध या निकटता है वो देखना जरूरी हैै.
तनाव में था सुसाइड करने वाले शख्स
अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि सुसाइड नोट को देखने से ये पता चलता है कि न तो कोई विवरण दिया गया है और न ही मृतक को खुदकुशी के लिए उकसाने वाली किसी खास घटना का उल्लेख किया गया है. मामले मेें अदालत ने एक स्वतंत्र गवाह पर भी ध्यान दिया है, जिसमें कहा गया है.
मृतक घर का कब्जा किसी अजनबी को देने के चलते परेशान था.निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा है कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की गई है, जिससे पता चले कि जिस दिन से उसने वैवाहिक घर छोड़ा था, उस दिन से मृतक और बहू और उसके माता-पिता के बीच कोई संबंध नहीं था.
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