How to Identify Real or Fake Rudraksha: मान्यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुुओं से हुई थी. ऐसे में ये भी माना जाता है कि जो भी रुद्राक्ष पहनता है उसकेे खराब ग्रह सुधरकर शुभ परिणाम देने लगते हैं. 


मान्यता है कि रुद्राक्ष को गले में धारण करने से दिल संबंधि बीमारियां, ब्लड प्रेशर, चिंता, तनाव नियंत्रित रहता है. हालांकि इन दिनों रुद्राक्ष केे महत्व और मांग को देखते हुए धड़ल्ले से लोगों की आस्था से खिलवाड़ हो रहा है. ऐसे में लोग भी परेशान हो गए हैं. यदि आप भी असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान के तरीके  जानना चाहते हैं तो चलिए जान लेते हैं.


कैसे होती है असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान
असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान का सबसेे आसान तरीका उसेे पानी मेें डालना है. दरअसल असली रुद्राक्ष पानी में डालने से डूब जाता है, जबकि नकली रुद्राक्ष पानी में डालने पर ऊपर तैरने लगता है. वहीं असली रुद्राक्ष को पहचानने के लिए उसे नुकीली चीज से कुरेदने पर उसमें से रेशा निकलता है तो वो असली रुद्राक्ष होता है. 


इसके अलावा रुद्राक्ष खरीदतेे समय ये ध्यान रखें कि असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं, जबकि भद्राक्ष में छेद करके रुद्राक्ष का रूप दिया जाता है.
यदि असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबोया जाए तो वो रंग नहीं छोड़ता. वहीं नकली रुद्राक्ष अपना रंग छोड़ देता है. 


किस रुद्राक्ष को माना जाता है शुद्ध
वैज्ञानिक परीक्षणों के बाद इलेइओकार्पस गैनीट्रस प्रजाति को शुद्ध रुद्राक्ष माना जाता है और इलेइओकार्पस लेकुनोसस को नकली प्रजाति माना जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय बाजारों में इस समय प्लास्टिक और फाइबर के बने हुए रुद्राक्ष भी बिक रहे हैं. कई व्यापारी तो लकड़ी को रुद्राक्ष का आकार देकर या फिर टूटे हुए रुद्राक्ष को जोड़कर नया रुद्राक्ष बनाकर बाजार में बेच रहे हैं.               


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