Sneezing Stop Heartbeat: किसी को भी छींक आना वैसे तो बहुत आम बात है, लेकिन कई लोगों के मन में ये धारणा है कि छींक आने पर कुछ देर के लिए दिल की धड़कन रुक जाती है. इसके पीछे मिथ क्या है और सच क्या चलिए जान लेेते हैं.
छींक की शुरुआत के समय आमतौर पर पहले नाक में अजीब सी गुुदगुदी का अनुभव होता है. इसके बाद दिमाग को सिग्नल पहुंचता है और छींक आ जाती है. जिससे पूरा शरीर हिल जाता है. छींक के बाद ऐसा फिल होता है जैसे पूरा शरीर हिल गया हो. इस दौरान ऐसा भी लगता है जैसे दिल ने अपने काम से छोटा सा ब्रेक ले लिया हो.
छींकते समय रुक जाती है दिल की धड़कन?
अक्सर ये सुननेे में आता है कि छींकते समय दिल की धड़कन रुक जाती है. ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर इसमें कितनी सच्चाई है, लेकिन आपको शायद ये जानकर हैरानी हो कि इसमें बिल्कुल सच्चाई नहीं है. बता दें कि छींकते समय हमारी धड़कन नहीं रुकती है बल्कि छींकने से पहले सांस लेने में परेशानी होती है तो हमें ऐसा लगता है कि हमारी सांस का प्लो कम हो गया है और धड़कन रुक गई है.
हालांकि सच्चाई इसके विपरित होती है. छींकने से पहले जब आप सांस अपने अंदर लेते हैं तो आपके सीने में दबाव बढ़ जाता है. इसके बाद आप जैसे ही छींक के दौरान जोर से सांस छोड़ते हैं तो सीने का दबाव कम हो जाता है. इन्हीं दबावों की वजह से ब्लड के फ्लो में बदलाव होता है, जो दिल की धड़कनों को प्रभावित कर सकता है. हालांकि ऐसा बिल्कुुल नहीं है कि छींकते वक्त आपका दिल धड़कना बंद कर देता है. छींकते समय दिल में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बिना रुके चलती रहती है, लेकिन पूरे शरीर के हिल जाने पर हमें अजीब महसूूस होता है और तुरंत हमें भगवान की याद आ जाती है. जिसपर हम छींकते ही उनका नाम लेने लगते हैं.
यह भी पढ़ें: यहां गेहूं के बीज से पता चलता था कोई महिला प्रेग्नेंट है या नहीं? जानिए क्या था प्रोसेस