कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक क्या एक जैसा दिखता है चांद? ये रहा जवाब
चांद हमें कभी पूरा तो कभी अधूरा नजर आता है, लेकिन क्या कभी सोचा है कि क्या चांद कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी,पूरे देश में एक जैसा ही नजर आता है? चलिए इसका जवाब जानते हैं.
कश्मीर के बर्फ से ढके पहाड़ों से लेकर कन्याकुमारी के नीले सागर तक, भारत की फैली हुई और अलग-अलग जगहों तक चांद एक ही है, फिर भी अलग-अलग रूपों में दिखाई देता है. यह एक ऐसा खगोलीय पिंड है जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. लेकिन क्या कश्मीर से कन्याकुमारी तक चांद एक जैसा ही दिखता है? इसका जवाब है नहीं. हर जगह चांद अलग-अलग नजर आता है. चलिए इस सवाल का जवाब जानते हैं आखिर ऐसा होता क्यों है.
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कैसे दिखते हैं एक ही चांद के अलग-अलग नजारे?
चांद का रंग और आकार पृथ्वी के वायुमंडल की स्थिति से प्रभावित होता है. कश्मीर की ठंडी और शुष्क हवा चांद को ज्यादा साफ और चमकीला दिखाती है, जबकि कन्याकुमारी की नम हवा चांद के चारों ओर एक हल्का सा हलो बना सकती है. इसके अलावा शहरों में प्रकाश प्रदूषण के कारण चांद की रोशनी कम दिखाई देती है. इसलिए, ग्रामीण क्षेत्रों में चांद ज्यादा साफ होता है. कश्मीर के कुछ दूरदराज के इलाकों में, जहां प्रकाश प्रदूषण बहुत कम है, चांद की रोशनी इतनी तेज होती है कि उसी रोशनी में रात में रात में पढ़ा भी जा सकता है.
चंद्रमा की कलाएं भी चांद के दिखने के तरीके को प्रभावित करती हैं. पूर्णिमा के दिन चांद सबसे बड़ा और चमकीला दिखाई देता है, जबकि अमावस्या के दिन चांद दिखाई नहीं देता है. भौगोलिक स्थिति भी चांद को देखने की स्थिति को प्रभावित करती है. उदाहरण के लिए, कश्मीर से चांद को देखने की स्थिति यानी जगह कन्याकुमारी से देखने के स्थिति से अलग होगी.
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भारत में चांद का महत्व
भारत में चांद का बहुत महत्व है. चांद को कई धर्मों में पूजा जाता है और इसे देवताओं का प्रतीक माना जाता है. चंद्रमा की कलाओं के आधार पर त्योहार मनाए जाते हैं और कृषि कार्य किए जाते हैं.
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