आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि गु्स्से में उस व्यक्ति का चेहरा लाल हो गया. शर्म से वो गुलाबी हो गई. डर के मारे उसके चेहरे का रंग नीला पड़ गया. लेकिन हम ऐसा क्यों कहते हैं. क्या सच में हमारी भावनाओं के अनुसार, हमारे शरीर या चेहरे का रंग बदलता है. चलिए आज आपको इसी के बारे में विस्तार से बताते हैं. इसके साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि क्या भावनाओं के अनुसार सिर्फ शरीर का रंग ही बदलता है या फिर शरीर के तापमान में भी अंतर महसूस होता है.


क्या कहता है रिसर्च


हाल ही में पीएनएएस जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई. इस रिपोर्ट में हमारी भावनाओं यानी फीलिंग्स के अनुसार हमारे शरीर के रंग और तापमान में क्या परिवर्तन आता है इस पर रिसर्च की गई. आपको बता दें, ये स्टडी वैज्ञानिकों ने 701 एक लोगों पर की. वैज्ञानिकों का मानना था कि ऐसा कर के वो भविष्य में इन्हीं रंगों और तापमान को देखकर मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोगों की इलाज में मदद कर पाएंगे.



इस रिसर्च के दौरान इन 701 लोगों को अलग-अलग गुटों में बांट दिया गया. फिर इन्हें अलग-अलग भावनाओं वाली कहानियां सुनाई गईं, फिल्में दिखाई गईं और कई तरह के चेहरे के एक्सप्रेशन दिखाए गए. फिर इन्हीं के आधार पर उनके अंदर हो रहे बदलाओं को स्टडी किया गया.


शरीर में क्या बदलाव होता है


जब शरीर अलग-अलग भावनाओं में होता है तो उसके भीतर अलग-अलग तरह के बदलाव होते हैं. जैसे जब किसी इंसान को किसी पर प्रेम आता है तो उसकी चाल हल्की हो जाती है. उसके भीतर एक्साइटमेंट बढ़ जाती है. दिल की धड़कन तेज हो जाती है. वहीं जब आप बेचैनी में होते हैं या किसी चीज के लिए आपके भीतर घबराहट, डर या नर्वसनेस होता है तो आपका शरीर हल्का कांपने लगता है, आपके हाथों में पसीना आने लगता है. वहीं जब आप टेंशन में होते हैं या किसी चीज में बहुत ज्यादा व्यस्त होते हैं और उस वक्त आपको अगर कोई डिस्टर्ब करता है तो आप चिढ़ जाते हैं. आपके सिर में एक अलग सा दर्द बन जाता है.


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