इस देश की राजधानी में कुत्तों पर लगाया गया था बैन, बेहद अजीबोगरीब थी वजह! पढ़िए
तुर्कमेनिस्तान देश में साल 2006 से पहले एक तानाशाह का राज था. उसने आपने शासनकाल में ऐसे अजीबों गरीब नियम बनाए, जिन्हे जानकर हर कोई हैरत में पड़ जाए. आइए इस बारे में और जानें.
Weirdest Rules: तुर्कमेनिस्तान मध्य एशिया में स्थित एक देश है, जिसे अंग्रेजी में तुर्कमेनिस्तान के नाम से जाना जाता है. कई साल पहले, यहां एक तानाशाह का शासन था. सपरमुरत नियाज़ोव नाम के व्यक्ति ने लगभग दो दशकों तक देश की सत्ता संभाली. उन्होंने अपने शासनकाल में ऐसे-ऐसे अजीबोगरीब नियम लागू किए कि आज भी लोग उनके बारे में सुनकर हैरान रह जाते हैं. 2006 में नियाज़ोव का निधन हो गया, लेकिन उस समय तक, देश के प्रत्येक निवासी को उनके कानूनों का पालन करना पड़ता था. हालांकि, उन्हें देश के राष्ट्रपति के रूप में संदर्भित किया जाता था, लेकिन उनका व्यवहार एक तानाशाह जैसा था.
सबका नेता बनना
1992 में जब नियाज़ोव पहली बार राष्ट्रपति चुने गए तो उन्होंने खुद को देश के हर नागरिक का नेता घोषित कर दिया. यहां तक कि उन्होंने देश में अपनी एक स्वर्ण प्रतिमा भी स्थापित करवाई.
कुत्तों पर प्रतिबंध
नियाज़ोव को कुत्तों से सख्त नफरत थी. इसीलिए उन्होंने 2003 में देश की राजधानी अश्गाबात में कुत्तों पर प्रतिबंध लगाया था. उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसने एक फूल का नाम अपने नाम पर रखा था और वह नहीं चाहता था कि कुत्तों की गंध से फूलों की खुशबू बर्बाद हो जाए.
टीवी पर मेकअप पर रोक
2004 में, नियाज़ोव ने समाचार पाठकों और टीवी कार्यक्रम मेजबानों को मेकअप पहनने पर रोक लगाने वाला एक नियम बनाया. वह चाहते थे कि महिलाएं नेचुरल लुक में दिखें.
संक्रामक रोगों पर कोई चर्चा नहीं
नियाज़ोव ने देश के सभी मीडिया आउटलेट्स को एक फरमान जारी किया, जिसमें उन्हें संक्रामक रोगों पर चर्चा करने से रोक दिया गया. एड्स, हेपेटाइटिस और यहां तक कि सामान्य सर्दी जैसी बीमारियों के बारे में समाचार रिपोर्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
37 किलोमीटर की जबरन सीढ़ियां चढ़ना
नियाज़ोव अपने मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्वास्थ्य को लेकर इतने चिंतित हो गए कि उन्होंने 37 किलोमीटर लंबी सीढ़ी का निर्माण करवाया. उन्होंने एक कानून भी बनाया जिसमें कहा गया कि राजधानी के प्रत्येक निवासी को वर्ष में कम से कम एक बार शीर्ष पर पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी होंगी. हालांकि, यह नियम उन पर लागू नहीं होता था.
रेगिस्तान में बर्फ का महल
तुर्कमेनिस्तान मुख्य रूप से रेगिस्तानी क्षेत्रों से बना है. बहरहाल, 2004 में तानाशाह ने फैसला किया कि देश में बर्फ से बना एक महल होना चाहिए. उनकी इच्छा उनकी मृत्यु के बाद तब पूरी हुई जब राजधानी में एक आइस स्केटिंग रिंक बनाया गया.
हड्डी चबाने को प्रोत्साहन
नियाज़ोव ने लोगों को अपने दाँत मजबूत करने के लिए हड्डियाँ चबाने की सलाह दी.
तरबूज और खरबूजे के लिए एक अलग दिन
नियाज़ोव को तरबूज और खरबूजों का गहरा शौक था. इसके कारण, उन्होंने देश में अगस्त के दूसरे रविवार को इन फलों के उपभोग के लिए समर्पित "मेलन डे" (मेलन डे) घोषित किया.
राजधानी के बाहर अस्पतालों और पुस्तकालयों को बंद करना
तानाशाह ने राजधानी अश्गाबात के बाहर सभी अस्पतालों और पुस्तकालयों को बंद कर दिया. यदि कोई बीमार पड़ जाता था, तो उसे केवल राजधानी में इलाज कराने की अनुमति थी.
आत्मकथा पढ़ना अनिवार्य
2001 में, तानाशाह ने "रूहनामा" शीर्षक से अपनी आत्मकथा लिखी. उन्होंने आदेश दिया कि उनकी आत्मकथा पूरे देश के हर स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई जाए. लोगों को न केवल इसे पढ़ना था, बल्कि इसे पढ़ने के बाद शनिवार को एक परीक्षा भी देनी होती थी. इसके अतिरिक्त, यह घोषणा की गई कि आत्मकथा की प्रतियां कुरान के साथ सभी मस्जिदों में रखी जाएंगी.
सपरमुरत नियाज़ोव के शासन के तहत तुर्कमेनिस्तान ने असामान्य कानूनों और तानाशाही शासन का युग देखा. हालांकि, उनका शासनकाल 2006 में समाप्त हो गया, लेकिन उनके विलक्षण नियमों और शासन की विरासत जारी है.
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