उत्तर भारत में आने वाले 5 दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. हीटवेव को लेकर जारी किए गए इस अलर्ट में बच्चों-बूढ़ों को बीमार लोगों की खास केयर करने को लेकर चेतावनी दी गई है. साथ ही हर व्यक्ति को धूप में जाने से पहले अपना शरीर ढंकने और हीट वेव से बचने के लिए कहा गया है. फिर भी यदि आप हीटवेव को हल्के में ले रहे हैं तो बता दें कि ये कितनी खतरनाक हो सकती है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर साल इस हीटवेव के चलते कई लोग अपनी जान गवा देते हैं, जिसके आकंड़े आपको हैरान कर सकते हैं.


हर साल हीटवेव ले लेती है इतनों की जान


ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्विद्यालय में हुए शोध के मुताबिक, दुनियाभर में हीटवेव के चलते 1,53,078 लाख लोग अपनी जान गवा देते हैं. वहीं भारत की बात करें तो हमारे देश में लू से लगभग 30,000 लोग हर साल अपनी जान गवा देते हैं. वहीं 1.53 लाख मौतों में से 14 प्रतिशत चीन में तो वहीं 8 प्रतिशत मौतें रूस में होती हैं.


जलवायु परिवर्तन के चलते हर दशक बढ़ रहा धरती का तापमान


इस रिसर्च में ये खुलासा हुआ है कि 1999 से लेकर 2019 के बीच दुनियाभर में अत्यधिक लू चलने के औसत दिनों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. ये आंकड़ा औसत 13.4 दिन से बढ़कर 13.7 दिन हो गया है. इसके अलावा ये भी खुलासा हुआ है कि पृथ्वी पर हर दशक में तापमान भी .35 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे पहले हुए अध्ययनों ने स्थानीय स्तर पर लू के कारण मौतों के बारे में बताया गया, आपको जानकर हैरानी होगी कि अध्ययनों में दुनिया भर में होने वाली मौतों का आंकड़ा जारी नहीं किया गया था.


हर पांच में से एक मौत भारत में


हीटवेव से दुनियाभर के मुकाबले भारत में मरने वालों की संख्या ज्यादा है. भारत के बाद दुनियाभर में हीटवेव से सबसे ज्यादा मौतें चीन और रूस में होती हैं. हर साल गर्मी से 1.53 लाख लोग अपनी जान गवा देते हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत मौतें एशिया में होती हैं. जबकि 30 फीसदी लोग यूरोप महाद्वीप में हीटवेव का शिकार होते हैं. इसके अलावा सबसे बड़ी अनुमानित मृत्यु दर शुष्क जलवायु और निम्न-मध्यम आय वाले क्षेत्रों में देखी गई है.                     


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