धरती के विनाश का समय कैसे बता रही है कयामत की घड़ी, क्या वाकई कुछ सेकेंड में आ जाएगी तबाही
Doomsday Clock: आखिर यह तय कौन करता है डूम्सडे क्लाॅक यानी कयामत की घड़ी का वक्त होगा. और कब इस घड़ी के समय कम कर देना चाहिए. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में.

Doomsday Clock: डूम्सडे (Doomsday) यानी कयामत का दिन, वह दिन कि जिस दिन सारी दुनिया खत्म हो जाएगी हैं. कयामत का दिन कब आएगा यह बात किसी को नहीं पता. किसी को नहीं पता दुनिया का अंत कैसे होगा. लेकिन क्या आपको पता है दुनिया में एक ऐसी घड़ी है. जो कयामत का दिन यानी डूम्स डे की जानकारी देती है. और हाल ही में इस घड़ी के 10 सेकंड और कम कर दिए गए हैं.
नहीं यह खुद ब खुद नहीं हुए हैं. बल्कि यह कम किये गये हैं. बता दें कयामत की इस घड़ी में रात के 12:00 बजने का मतलब है कयामत का वक्त आ जाएगा. यानी दुनिया खत्म. लेकिन अब कई लोगों के मन में सवाल यह भी आता है कि आखिर यह तय कौन करता है डूम्सडे क्लाॅक यानी कयामत की घड़ी का वक्त क्या होगा. और कब इस घड़ी के समय कम कर देना चाहिए. चलिए आपको बताते हैं इस बारे में.
कौन तय करता है कयामत की घड़ी का वक्त?
दरअसल साल 1947 में अमेरिका के शिकागो की सोशल वेलफेयर संस्थान बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट ने इस घड़ी को बनाया था. और बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स के द्वारा ही इस घड़ी का समय तय किया जाता है. इस संस्थान की बात की जाए तो इसमें 13 नोबेल पुरस्कार विजेता विशेषज्ञ के तौर पर शामिल होते हैं.
इसके अलावा परमाणु तकनीक के जानकार और जलवायु परिवर्तन के जानकार भी इस संस्थान में शामिल होते हैं. यह सभी मिलकर तय करते हैं. की घड़ी को कितने समय पर रोकना चाहिए. हाल ही में इस घड़ी की 10 सेकेंड्स को कम किया गया है. यह फैसला भी बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स द्वारा लिया गया है.
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कैसे तय किया जाता है वक्त?
कयामत की घड़ी यानी डूम्स डे क्लॉक के वक्त को कौन तय करता है. इस बारे में तो आपने जान लिया. लेकिन अब आपके मन में है सवाल आ रहा होगा. इसके वक्त को तय कैसे किया जाता है. इसके लिए क्या कैलकुलेशन होती है. या किन बातों का ध्यान रखा जाता है. तो बता दें डूम्स डे क्लॉक का वक्त तय करने के लिए यानी कयामत की घड़ी का वक्त तय करने के लिए कई बातें ध्यान में रखनी होती हैं.
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इसमें परमाणु खतरा, परमाणु हथियारों का प्रसार और उनके संभावित उपयोग ध्यान में रखा जाता है. ग्लोबल वार्मिंग और उसके प्रभाव ध्यान में रखे जाते हैं. दुनिया में फैलने वाली महामारियां और जैविक हथियारों के प्रयोग बारे में आंकलन किया जाता है. नई तकनीक का दुरुपयोग और साइबर हमले जैसी चीजों को भी ध्यान में रखा जाता है.
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