भारतीय कानून के तहत, हत्या के दोषी को फांसी या फिर उम्र कैद की सजा होती है. लेकिन क्या हो अगर कोई हत्या का दोषी जेल में बंद हो और वहां एक और हत्या कर दे. ये कोई हाइपोथेटिकल बात नहीं है, इस तरह की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं, जिसमें जेल में बंद हत्या के किसी दोषी ने जेल के किसी अन्य कैदी की किसी बात को लेकर हत्या कर दी हो. चलिए अब जानते हैं कि अगर ऐसा कोई व्यक्ति करता है तो उसे क्या सजा मिलती है.


ऐसे मामलों में क्या होता है


भारतीय कानून के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति हत्या के आरोप में जेल में बंद है और वहां फिर से हत्या करता है, तो यह एक गंभीर अपराध माना जाएगा. ऐसे मामलों में आरोपी को ना केवल पहले से चल रहे मामले का सामना करना पड़ता है, बल्कि नए हत्या के मामले में भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. यानी अब उस पर दो हत्या के मामलों का अलग-अलग केस चल रहा होगा. अगर आरोपी दोनों मामलों में दोषी पाया जाता है तो उसे दोनों मामलों में सजा हो सकती है.


कानून क्या कहता है


भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत, हत्या के मामलों में आरोपी पर धारा 302 के तहत कार्रवाई होती है. अगर आरोपी पर आरोप सिद्ध होते हैं तो उसे अधिकतम सजा फांसी या फिर आजीवन कारावास हो सकती है. हालांकि, अब जब से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) आई है, इसमें हत्या से जुड़ी धारा 103 हो गई है.


जेल में हत्या करना


किसी भी आरोपी को हत्या के मामले में सजा देते वक्त कोर्ट कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करता है. जैसे हत्या अचनाक की गई है या हत्या प्लान कर के की गई है या फिर आत्मरक्षा में हत्या की गई है. इन पहलुओं पर विचार करने के बाद ही अदालत हत्या के दोषी को सजा सुनाती है.


अगर किसी व्यक्ति ने पहली हत्या प्लान कर के की है तो उसे उसमें आजीवन कारावास या फिर फांसी हो सकती है. लेकिन अगर उसी व्यक्ति ने जेल में रहते हुए दूसरी हत्या आत्मरक्षा में की है तो हो सकता है कि कोर्ट इस मामले में व्यक्ति को फांसी की सजा ना दे. हालांकि, किसी भी मामले में अंतिम निर्णय वही होता है जो अदालत फैसला करती है.


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