कैसे हुई थी दहेज प्रथा की शुरुआत, जानें सबसे पहले किसने दिया था गिफ्ट
Dowry system in India: दहेज लेना और देना आज भी बरकरार है. कानून होने के बाद भी भारत के कुछ राज्यों में दहेज लेना एक तरह से कल्चर बनता जा रहा है, इस पर कोई रोक नहीं है.

Dowry system in India: भारत में कानूनी तौर पर दहेज लेना और दहेज देना, दोनों ही आपराधिक श्रेणी में आते हैं. इसके बावजूद भारत के कुछ हिस्सों में यह खुले आम चलता है और लोग इसको लेते भी हैं और देते भी हैं. उत्तर भारत के कुछ राज्यों जैसे कि बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में आज भी जब लड़की वाले शादी के लिए जाते हैं तो पहले यह देखते हैं कि मैं दहेज दे सकता हूं कि नहीं.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ नार्थ के ही स्टेट में दहेज लिया और दिया जाता है. साल 2021 में वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल में दहेज के मामले काफी तेजी के साथ बढ़े थे. भारत के कुछ राज्यों में लोग सरकारी नौकरी की तैयारी इसीलिए करते हैं ताकि उनको अच्छा दहेज मिल सके.
तय नहीं कोई पैमाना
भारत में दहेज लेने और देने के लिए कोई पैमाना तय नहीं है. अगर आज के समय की बात करें तो डिमांड मोटर साईकिल से लेकर बीएमडब्ल्यू तक पहुंच जाती है. यह सामने वाले पर निर्भर करता है कि वह कितना ले सकता है और वह कितना दे सकता है. 21वीं सदी में महिलाओं ने शिक्षा से लेकर तकनीकि हर क्षेत्र में तरक्की की है, लेकिन अगर अच्छे घर में शादी करना है और अच्छे लड़के से शादी करना है तो दहेज देना एक परंपरा बन गई है. हमारे समाज की यह मनोदशा हो गई है कि अगर कोई दहेज नहीं लेता है तो यह सुनने को मिलता है 'अरे फलनवा के लइकवा में जरूर कोनों दिक्कत रहा, यही चलते कुछु न मिलल'. यानी अगर आप दहेज नहीं लेते तो यह सुनने को मिलेगा कि शायद लड़के में कोई कमी रही होगी इसीलिए कुछ नहीं मिला.
कैसे मिलता है दहेज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार में दहेज देने के मामले में 2023 की तुलना में 2024 में दहेज के रेट में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यानी जिन्होंने पिछले साल अपनी बेटी की शादी नहीं की थी, उनको इस बार 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा देना होगा. बिहार में बीपीएससी पास शिक्षक भी दारोगा को टक्कर दे रहे हैं. अगर आपके पास सरकारी नौकरी है तो आपको मुंहमांगी रकम देने के लिए लोग तैयार हैं.
साल 2023 में जिस सरकारी फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी को 5 से 6 लाख कैश और बाइक जिसकी कीमत 1 लाख से ज्यादा हो, मिलता था. उसी फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी का दहेज साल 2024 में बढ़कर 6 से 8 लाख रुपये और एक लाख से ज्यादा वाली बाइक तक पहुंच गया. क्लर्क को साल 2023 में 10 से 12 लाख कैश और बाइक दहेज में मिलता था, वह साल 2024 में 12 से 14 लाख कैश और बाइक तक पहुंचा. दरोगा साहब को 18-20 लाख नगद और एक कार साल 2023 में दहेज के तौर पर मिलता था, लेकिन साल 2024 में यह 20-22 लाख रुपये और कार तक पहुंच गया. यही हाल बीपीएससी पास शिक्षक का भी है उनको भी साल 2024 में 18 से 20 लाख रुपये कैश और चमचमाती कार मिलने लगी. अगर कहीं आप आईएएस-आईपीएस हैं तो जो मुंह से मांग लीजिए सरकार...उतना कैश और बाकी समान आपको मिल जाएगा. वहीं, अगर आप टॉप क्लास की प्राइवेट नौकरी कर रहें हैं तो आपको सब्जी बेचने वाले जितनी भी इज्जत नसीब नहीं होगी.
कब शुरू हुआ दहेज और सबसे पहले क्या मिला
दहेज देना कब शुरू हुआ इसको लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. यह प्रथा आज की नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही है और अब एक परंपरा है. दहेज प्रथा कि शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है. कई जगह इस बात का उल्लेख है कि अथर्ववेद के अनुसार वहतु के रूप इस प्रथा की शुरुआत उत्तर वैदिक काल से हुई. लेकिन उस समय ऐसा नहीं होता था. मध्यकाल में इसको स्त्री धन के तौर पर जाना जाने लगा, जिसमें लड़की को उसके परिवार से गहने, कपड़े और अन्य संपत्ति दी जाती थी. यह उसकी व्यक्तिगत संपत्ति होती थी. यह इस उद्देश्य से दी जाती थी कि अगर लड़की किसी मुसीबत में हो या उसके ससुराल वाले किसी मुसीबत में हो तो इसका उपयोग कर सकें. लेकिन इस समय यह एक व्यापार का रूप ले चुका है.
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1960 से लेकर 2008 के बीच भारत के गांवों में हुई 40 हजार शादियों में यह पाया गया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया.
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