क्या है अमेरिका का वो ड्रेक पैसेज, जहां से गुजरने से कतराते हैं समुद्री जहाज
ड्रेक पैसेज का नाम सर फ्रांसिस ड्रेक, एक अंग्रेज़ी समुद्री खोजकर्ता के नाम पर रखा गया है. उन्होंने 1578 में दक्षिणी सागर की अपनी यात्रा के दौरान इस पैसेज की खोज की थी.
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दुनिया का एक तिहाई भाग समुद्र से ढका हुआ है. आज से सैकड़ों साल पहले जब हवाई जहाज की सुविधा नहीं थी, तब यात्री समुद्र के जरिए ही पूरी दुनिया का चक्कर लगाते थे. आज भी सामान ले जाने, ले आने के लिए ज्यादातर बार समुद्री रास्ते का ही इस्तेमाल होता है.
हालांकि, इस रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं. बरमूडा ट्रायंगल के बारे में तो आप सभी जानते ही हैं, लेकिन क्या आप ड्रेक पैसेज के बारे में जानते हैं, जिसे समुद्री जहाजों का कब्रिस्तान भी कहा जाता है. चलिए आज आपको इस खबर में अमेरिका के ड्रेक पैसेज के बारे में विस्तार से बताते हैं.
क्या है अमेरिका का ड्रेक पैसेज
दरअसल, ड्रेक पैसेज अमेरिका का एक महत्वपूर्ण और सामरिक जलमार्ग है, जिसे दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण समुद्री क्षेत्रों में से एक माना जाता है. यह ड्रेक पैसेज दक्षिण अमेरिका के केप हॉर्न और अंटार्कटिका के साउथ शेटलैंड द्वीपों के बीच है. ये जलमार्ग अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है. इसकी वजह से ये बेहद महत्वपूर्ण जलमार्ग है.
कितना खतरनाक है ड्रेक पैसेज
ड्रेक पैसेज की चौड़ाई की बात करें तो ये लगभग 800 किलोमीटर है, वहीं इस जगह की गहराई की बात करें तो ये 3,400 से 4,800 मीटर है. अमेरिका के इस ड्रेक पैसेज को दुनिया के सबसे कठिन समुद्री रास्तों में से एक माना जाता है. यहां चलने वाली हवाओं की स्पीड 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहती है. इसके अलावा दक्षिणी महासागर की खतरनाक लहरें अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच से गुजरती हैं, जो इस क्षेत्र को बहुत ज्यादा अस्थिर और खतरनाक बना देती हैं. इसके अलावा ड्रेक पैसेज का मौसम अक्सर बदलता रहता है.
जहाजों का कब्रिस्तान
ड्रेक पैसेज का नाम सर फ्रांसिस ड्रेक, एक अंग्रेज़ी समुद्री खोजकर्ता के नाम पर रखा गया है. उन्होंने 1578 में दक्षिणी सागर की अपनी यात्रा के दौरान इस पैसेज की खोज की थी. कहा जाता है कि इस ड्रेक पैसेज में तब से अब तक 500 से ज्यादा जहाज डूब चुके हैं. यही वजह है कि इस जगह को जहाजों का कब्रिस्तान कहा जाता है. इस जगह का डर नाविकों के अंदर इतना ज्यादा है कि छोटे नाविक इस रास्ते का इस्तेमाल करने से बचते हैं. वहीं बड़े नाव भी बेहद सावधानी से इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं.
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