(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हवा और सूरज की रोशनी से तैयार होगा पीने का पानी, इस तकनीक का किया जा रहा इस्तेमाल
इस तकनीक की शुरुआत एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से शुरू हुई. वहां के शोधकर्ताओं ने इस तरह का प्रोडक्ट बनाने के लिए हाइड्रोपैनल तकनीक को विकसित किया और फिर एक चमत्कारी प्रोडक्ट बना दिया.
पूरी दुनिया पीने लायक पानी को लेकर परेशान है. लोगों को चिंता सता रही है कि जिस तरह से मीठे पानी का दोहन हो रहा है, कहीं ऐसा ना हो कि आने वाले समय में धरती से पीने लायक पानी खत्म ही ना हो जाए. हालांकि, अब एक ऐसी तकनीक आ गई है जो लोगों की इस चिंता को दूर कर सकती है. दरअसल, इस नई तकनीक की मदद से अब हवा और सूरज की रौशनी से पीने लायक पानी बनाया जा सकता है.
कौन बना रहा है इसे
इस तकनीक को बाजार में लेकर आई है अमेरिका की एक कंपनी. इस कंपनी का नाम है सोर्स यह अमेरिका के एरिजोना में स्थित है. यह कंपनी सोलर पावर्ड पैनलों का इस्तेमाल कर के पीने लायक साफ पानी बना रही है.
कैसे काम करती है ये तकनीक
दरअसल, ये कंपनी ऐसे कैन बनाती है जो सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर के हवा से नमी खींच लेता और फिर उसे पानी में तब्दील कर देता है. और आसाना भाषा में समझाएं तो पैनल पहले हवा में से जलवाष्पो को खींचता और उन्हें पैनल के अंदर एक विशेष मटेरियल में एब्सॉर्ब कर लेता है.
फिर सिस्टम इसे गर्म करने के लिए सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल करती है. इसके बाद नमी पैनल के अंदर कंडेंस होकर पानी में बदल जाता है. विज्ञान की भाषा में इस तकनीक को हाइड्रोपैनल टेक्नोलॉजी बोला जाता है. इसी तकनीक का इस्तेमाल कर के सोर्स अब एक नए तरह का डिब्बा बंद पानी बना रहा है.
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ सफर
इस तकनीक की शुरुआत आज से लगभग 10 साल पहले एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से शुरू हुई. वहां के शोधकर्ताओं ने इस तरह का प्रोडक्ट बनाने के लिए हाइड्रोपैनल तकनीक को विकसित किया और फिर एक चमत्कारी प्रोडक्ट बना दिया. न्यूरोसाइंटिस्ट की रिपोर्ट इस पानी को लेकर कहती है कि यह पानी हवा की नमी से इकट्ठा किया गया है इसलिए यह काफी शुद्ध है. हालांकि, फिलहाल एक पैनल दिन में सिर्फ 3 लीटर पानी ही बना सकता है.
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