पृथ्वी की उत्पत्ति आज भी वैज्ञानिकों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है. पृथ्व कितनी पुरानी है, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, इस पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका ठोस जवाब इंसानों को आज तक नहीं मिला. हालांकि, अब ग्रेविटी होल से शायद ये संभव हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके माध्यम से वैज्ञानिक पृथ्वी की उत्पत्ति के कारणों के सबसे निकटतम संभावनाओं तक पहुंच सकते हैं.


क्या कहता है रिसर्च?


हाल ही में बैंगलोर के सेंटर फॉर अर्थ साइंसेज और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस ने मिलकर एक शोध किया. इसमें पता चला कि हिंद महासागर में एक केंद्र है जिसे ग्रेविटी होल कहते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ग्रेविटी होल एक प्राचीन समुद्र के अवशेष हैं. ये समुद्र लाखों साल पहले धरती से गायब हो गया था. इस अनोखे रिसर्च ने पृथ्वी के रहस्य की कई परतों को खोल दिया है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसकी सहायता से वो आने वाले समय में पृथ्वी की उत्पत्ति के करीब पहुंच जाएंगे.


कितनी गहराई में स्थित है ये?


रिसर्चर्स के मुताबिक, इस ग्रेविटी होल को आईओजीएल के रूप में जाना जाता है और यह हिंद महासागर में करीब 20 लाख वर्ग मील तक फैला हुआ है. जबकि गहराई की बात करें तो ये पृथ्वी की परत के नीचे 600 मील से अधिक की गहराई में स्थित है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये आईओजीएल टेथिस महासागर का हिस्सा है जो लंबे समय से गायब था. इसे लेकर कहा जाता है कि लाखों साल पहले ये पृथ्वी की गहराई में कहीं डूब गया था. वहीं टेथिस महासागर को लेकर कहा जाता है कि ये कभी गोंडवाना और लॉरेशिया महाद्वीपों को अलग करता था.


लाखों साल तक ऐसे ही बना रहेगा


वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये ग्रेविटी होल अपने असली रूप में आज से लगभग दो करोड़ साल पहले आया होगा और यह आने वाले लाखों साल तक ऐसा ही बना रहेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा होने के पीछे गुरुत्वाकर्षण की शक्ति है. उस दौरान जब ये ग्रेविटी होल बना तब पृथ्वी एक जबरदस्त ग्रेविटिकल फोर्स से गुजर रही थी. आपको बता दें इस ग्रेविटी होल पर पूरा रिसर्च जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है.


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