अंतरिक्ष को रहस्यों से भरी दुनिया कहा जाता है. इन रहस्यों को सुलझाने के लिए दुनियाभर की अलग-अलग स्पेस एजेंसियां लगी हुई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने नए शोध में बताया है कि पृथ्वी का अंदर का हिस्सा उल्टी दिशा में घूम रहा है. जी हां, पृथ्वी को लेकर कहा जा रहा है कि पृथ्वी का भीतरी हिस्सा अपनी दिशा से दूसरी तरफ घूम रहा है.
पृथ्वी
पृथ्वी को लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया दावा किया है. वैज्ञानिकों ने अपने एक ताजा शोध में बताया है कि पृथ्वी अपने जिस आंतरिक कोर पर घूमती है, उसकी गति अब धीमी हो रही है. दावा के मुताबिक यह आंतरिक कोर अब उल्टी दिशा में घूम रहा है.
बता दें कि पृथ्वी को तीन अलग-अलग परतों में विभाजित किया जाता है. इन तीन परतो में क्रस्ट, मेंटल और कोर शामिल है. जानकारी के लिए बता दें कि क्रस्ट पर हम रहते हैं और कोर को सबसे आंतरिक परत के रूप में जाना जाता है. वहीं मेंटल इन दोनों के बीच में होता है.
कई सिद्धांतों के मुताबिक पृथ्वी का कोर स्वतंत्र रूप से घूम रहा है. साधारण शब्दों में कहा जाए तो पृथ्वी के भीतर एक ठोस धातु की गेंद है, जो पृथ्वी से स्वतंत्र रूप से घूमती है. जैसे एक बड़ी गेंद के अंदर घूमती गेंद है. बता दें कि 1936 में डेनिश भूकंपविज्ञानी इंगे लेहमैन ने इसे खोजा था.
लेकिन आंतरिक कोर ने शोधकर्ताओं को काफी आकर्षित किया है. इसकी गति जिसमें घूर्णन गति और दिशा शामिल है, यह दशकों से चल रही बहस का विषय है. लेकिन हालिया रिसर्च के मुताबिक कोर के घूर्णन में काफी बदलाव आया है. हालांकि वैज्ञानिक भी इसे लेकर अलग-अलग मत रखते हैं.
क्या हो सकता है परीक्षण
बता दें कि एक बड़ी चुनौती यह है कि पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग का प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण या नमूना लेना असंभव है. भूकंप का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में पहुंचने वाले बड़े भूकंपों से उत्पन्न तरंगों के व्यवहार की जांच की है और आंतरिक कोर की गति के बारे में जानकारी एकत्र की है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग समय पर कोर से गुजरने वाली समान शक्तियों की तरंगों के बीच अंतर ने वैज्ञानिकों को आंतरिक कोर की स्थिति में बदलाव को मापने और इसके घूर्णन की गणना करने में मदद की है.
सूर्य की सतह
पृथ्वी के अंदर करीब 3,220 मील (5,180 किलोमीटर) गहराई में दबा हुआ ठोस धातु का आंतरिक कोर एक तरल धातु के बाहरी कोर से घिरा हुआ है. यह ज्यादातर लोहे और निकल से बना है. आंतरिक कोर के सूर्य की सतह जितना गर्म होने का अनुमान है, करीब 9,800 डिग्री फ़ारेनहाइट (5,400 डिग्री सेल्सियस) है. पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र गर्म धातु की इस ठोस गेंद को खींचता है, जिससे यह घूमने लगती है. इस बीच बाहरी कोर और मेंटल के द्रव का गुरुत्वाकर्षण और प्रवाह कोर पर दबाव डालते हैं.
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