क्या एक तरफ ज्यादा झुक रही है पृथ्वी? अगर हल्की सी भी ज्यादा झुक गई तो क्या होगा?
जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि 20 वर्षों में पृथ्वी 4.36 सेंटीमीटर/प्रतिवर्ष की स्पीड से लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है.
धरती पर होने वाले बारीक बदलाव इंसानों के जीवन में भारी उथल पुथल ला देते हैं. ऐसे में अगर हम आपसे कहें की धरती एक तरफ ज्यादा झुक रही है तो आप का क्या रिएक्शन होगा. दरअसल, ऐसा सच में हुआ है. हमारी धरती पूर्व की ओर सच में ज्यादा झुक गई है. सबसे बड़ी बात की इसके पीछे इस धरती पर सदियों से फल फूल रहे इंसानों का ही हाथ है. चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और इससे इंसानों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
कैसे झुक गई धरती?
जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि 20 वर्षों में पृथ्वी 4.36 सेंटीमीटर/प्रतिवर्ष की स्पीड से लगभग 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है. इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वो है पंपिंग के जरिए ज्यादा ग्राउंडवॉटर का निकाला जाना. आपको बता दें, इंसानों ने 1993 से 2010 तक 2,150 गीगाटन ग्राउंडवॉटर पंप कर के पृथ्वी से बाहर निकाल लिया है जो समुद्र स्तर से 6 मिलीमीटर अधिक है.
कौन निकाल रहा है इतना पानी
जियोफिजिकल रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो दुनिया में सबसे ज्यादा भूजल अमेरिका के पश्चिमी इलाके और भारत के उत्तर-पश्चिम इलाके से निकाला गया है. सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स कहते हैं कि भूजल के रिडिस्ट्रिब्यूशन से रोटेशनल पोल के बहाव पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है और इसी की वजह से बाद में पृथ्वी के घूर्णी ध्रुव के बहाव पर भी बड़ा प्रभाव पड़ने लगता है.
इंसानों के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा
इस दुनिया में हर चीज एक संतुलन पर चल रही है. जैसे ही किसी भी एक चीज का संतुलन बिगड़ेगा इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ेगा. पृथ्वी का इस तरह से एक और ज्यादा झुक जाना भविष्य में इंसानों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा होने पर कई तरह के पर्यावरणीय बदलाव देखे जा सकते हैं, जो इस धरती पर मौजूद जीवों के लिए बेहतर नहीं होंगे.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड टनल हादसा: अभी नहीं निकल पाए 40 मजदूर... जानिए पहले कब-कब टनल में दफन हो चुकी हैं जिंदगियां