धरती पर आने वाले विनाशकारी भूकंपों के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि चांद पर भी भूकंप आते हैं. यहां भी कई बार भूकंप इतने विनाशकारी होते हैं कि अगर पृथ्वी पर आ जाएं तो तबाही मच जाए. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर चांद पर भूकंप क्यों आते हैं और इन भूकंपों का उसकी सतह पर कैसा असर पड़ता है. 


चांद पर कैसे आते हैं भूकंप?


भूकंप आने की एक साधारण सी थ्योरी है, जो चांद और पृथ्वी पर एक जैसी काम करती है. दरअसल, भूकंप के पीछे हमेशा से टेक्टोनिक प्लेटों का हाथ होता है. जब इन टेक्टोनिक प्लेटों में सक्रियता होती है तो सतह पर भूकंप महसूस होता है. चांद पर और धरती पर ये एक समान तरीके से काम करती हैं. हालांकि, इसके प्रभाव जरूर दोनों जगहों पर एक जैसे नहीं होते. वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद पर पृथ्वी के मुकाबले भूकंप ज्यादा तेज आते हैं. ये तेजी पृथ्वी पर आने वाले भूकंपों के मुकाबले 20 गुना ज्यादा हो सकती है.


चांद पर आने वाले भूकंपों के बारे में कैसे पता लगा?


ये सवाल काफी अहम है. क्योंकि पृथ्वी पर भूकंप का पता लगाने के लिए तमाम साधन हैं, जबकि चद्रमा पर इसके लिए बहुत खास साधन उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि, इसके बाद भी वैज्ञानिक चांद पर आने वाले भूकंप के बारे में पता लगा लेते हैं. दरअसल, बीते कुछ वर्षों में चांद को लेकर इंसानों की दिलचस्पी बढ़ी है. यही वजह है कि दुनिया के कई देश चांद तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं.


हाल ही में भारत ने चंद्रयान 3 की कामयाब लैंडिंग के बाद दुनिया में इतिहास रच दिया था. अब आते हैं असली सवाल पर कि आखिर धरती से चांद के भूकंपों के बारे में पता कैसे लगता है. आपको बता दें, जब अमेरिका ने अपोलो 17 चांद पर भेजा था तब उसके यात्रियों ने चांद पर कई तरह के उपकरण लगा दिए थे. आज भी इन्हीं उपकरणों की मदद से पृथ्वी के वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर आने वाले भूकंपों के बारे में पता लग जाता है.


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