Earth Vs Moon's Gravity: धरती के बाहर अंतरिक्ष की दुनिया का कोई अंत नहीं होता है. इसके रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत करते हैं. धरती के करीब चांद और सूरज के सीक्रेट्स भी उपग्रहों के कारण धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं. 14 जुलाई, 2023 को भारत ने कुल 3900 किलोग्राम वजनी अपने चंद्रयान-3 को चांद के लिए रवाना कर दिया. इसरो की कोशिश है कि चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हो जाए. क्या आपको पता है कि चांद पर जाने के बाद आपके वजन में बदलाव आ जाता है? आइए जानें की कोशिश करते हैं कि चांद पर चंद्रयान-3 का वजन कितना होगा.
पहले इसे समझिए
यह जानने से पहले कि चांद पर चंद्रयान-3 का वजन कितना होगा, यह जानना जरूरी है कि चांद पर किसी इंसान का वजन कितना रह जाता है. इसी से ही हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि चांद पर चंद्रयान-3 का वजन कितना होगा. 20 जुलाई 1969 एक महत्वपूर्ण दिन था, जब इंसान ने पहली बार चांद पर कदम रखा. आप जानना चाहेंगे कि उनका अनुभव कैसा था. चलिए हम समझते हैं.
अगर कोई इंसान चांद पर जाता है, तो उसे अपने वजन में बदलाव का अनुभव होगा. यह सच है. चांद पर पहुंचने के बाद वजन बहुत कम हो जाता है, जिसे कोई सोच भी नहीं सकता. अब हम देखते हैं कि चांद पर जाने के बाद इंसान के वजन में कैसा परिवर्तन होता है और वह कितना कम होता है.
कितना कम महसूस होगा?
धरती पर आपका वजन जितना होता है, चांद पर जाने के बाद वह उसका 1/6वां हिस्सा हो जाता है. उदाहरण के रूप में, यदि किसी का वजन धरती पर 84 किलोग्राम है, तो वह चांद पर जाने के बाद 14 किलोग्राम तक ही वजन रहेगा.
वजन कम क्यों हो जाता है?
इसका कारण पूरी तरह से ग्रेविटी है. चांद का ग्रेविटेशनल एसेलेरेशन धरती के ग्रेविटेशनल एसेलेरेशन के 1/6 होता है. इसलिए वहां इंसान का वजन धरती के मुकाबले 1/6वां हिस्सा होता है. चांद पर पहुंचकर एस्ट्रोनॉट्स को 6 गुना कम वजन महसूस होता है. अगर आप सोच रहे हैं कि चंद्रमा पर जाने के बाद कुछ चीजें शरीर से कम हो जाती हैं, तो ऐसा नहीं है. वास्तव में, द्रव्यमान और भार दो अलग-अलग चीजें होती हैं. भार एक प्रकार का बल होता है, जबकि द्रव्यमान चांद पर पहुंचकर भी वही रहेगा, लेकिन आपको वजन कम महसूस होगा.
चांद पर कितना होगा चंद्रयान-3 का वजन
चंद्रयान 3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2148kg है और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1752kg है. लैंडर मॉड्यूल के वजन में रोवर का वजन भी शामिल है, जोकि 26kg का है. चांद पर लैंड करने से पहले ही प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर से अलग हो जायेगा, यानी चांद की सतह पर सिर्फ लैंडर मॉड्यूल ही पहुंचेगा. लैंडर मॉड्यूल का धरती पर वजन 1752kg है, लेकिन यह वहां सिर्फ 292kg का ही महसूस होगा. इसकी वजह चंद्रमा का ग्रेविटेशनल फोर्स है, जोकि पृथ्वी से कम है.
यह भी पढ़ें - ये बात कैसे तय हुई कि दिन 24 घंटों का होगा? आपके हाथों में छिपा है समय का राज़, पढ़िए...