आखिर बकरीद पर कुर्बानी वाले बकरों के क्यों गिने जाते हैं दांत? वजह जान रह जाएंगे हैरान
Bakra Eid: बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देना आम बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं?
Eid Ul Adha 2024: आज यानी 17 जून को पूरे देश में ईद-उल-अजहा सेलिब्रेट की जा रही है. बकरीद को इस्लाम के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है. बता दें कि इस्लाम में सालभर दो ईद सेलिब्रेट की जाती है, एक मीठी ईद होती है तो दूसरी बकरीद. ये अपना कर्तव्य निभाने और अल्लाह पर विश्वास रखने का त्योहार है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस त्योहार को आखिरी महीने के 10वें दिन सेलिब्रेट किया जाता है. इस दौरान बकरे की कुर्बानी दी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर बकरीद पर बकरे की कुर्बानी से पहले उसके दांत क्यों गिने जाते हैं? चलिए जान लेते हैं.
कुर्बानी से पहले क्यों गिने जाते हैं बकरे के दांत?
बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत गिनने का रिवाज है. दरअसल ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कुर्बानी एक साल के बकरे की ही दी जाती है. ऐसे में बकरे के दांत गिनकर ये पता लगाया जाता है कि वो बकरा एक साल का है या नहीं. यदि बकरे के चार या छह दांत होते हैं तो वो बकरा एक साल का होता है. दरअसल बकरीद पर न ही नवजात और न ही बुजुर्ग बकरे की कुरबानी दी जाती है. ऐसे में जब किसी बकरे के दांत नहीं आए होते या फिर दो, चार या फिर छह से ज्यादा होते हैं तो उस बकरे को कुर्बान नहीं किया जाता.
क्यों मनाई जाती है बकरीद?
इस्लाम में मान्यता है कि हजरत इब्राहिम की अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में बकरीद मनाई जाती है. बताया जाता है कि हजरत इब्राहिम अल्लाह में सबसे ज्यादा विश्वास रखते थे. अल्लाह के प्रति अपने विश्वास को बताने के लिए ही उन्होंने अपने बेटे की बलि दे दी थी. कहा जाता है कि जैसे ही उन्होंने अपने बेटे की बलि देने के लिए तलवार उठाई उसी समय उनके बेटे की जगह एक एक दुंबा (भेड़ जैसी एक प्रजाति) आ गई थी और उनके बेटे उनके बेटे की जान बच गई थी. इसी कहानी के आधार पर हर साल बकरीद के मौके पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के समय बकरे को तीन भागों में काटा जाता है. एक भाग गरीबों को दिया जाता है, तो वहीं दूसरा भाग दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है और बचा हुआ तीसरा भाग परिवार खाता है.
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